For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

जहर उगलता बंगलादेश

05:54 AM Jul 22, 2025 IST | Aditya Chopra
जहर उगलता बंगलादेश

भारत के पड़ोसी बंगलादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस और उनके मंत्री तो भारत के खिलाफ लगातार जहर उगल ही रहे थे कि अब कट्टरपंथी ताकतें भारत के ​विरोध में लगातार विष फैला रही हैं। बंगलादेश की नवगठित नेशनल सिटीजन पार्टी के प्रमुख और पाक प्रस्त युवा नेता सरजिस आलम ने एक रैली में एक तरह से धमकीपूर्ण लहजे में कहा कि इस देश में किसी भी विदेशी समर्थक के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसलिए भारत के अधिपत्य का विरोध जरूरी है। बंगलादेश में शेख हसीना के तख्तापलट में छात्रों की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए छात्र संगठनों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बंगलादेश इस समय कट्टरपंथी ताकतों के हाथों में खेल रहा है। पाकिस्तान, चीन और तुर्की प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से बंगलादेशी युवाओं और छात्रों को एक कट्टरपंथी वैचारिक सोच की ओर मोड़ने का अभियान चलाए हुए है। दो महीने पहले तुर्की समर्थित एक इस्लामी संगठन सल्तनत-ए-बांग्ला ने एक विवादास्पद नक्शा जारी किया था जिसमें भारत के बिहार, झारखंड, ओडिशा और पूरे पूर्वोत्तर राज्यों को ग्रेटर बंगलादेश का हिस्सा बताया गया था।

इससे पहले मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान बंगलादेश की नई पीढ़ी को कट्टरपंथी ​दिशा में मोड़ने की सुनियोजित कोशिश है। इससे पहले भी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से जुड़े कुछ लोगों ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर दावा जताया था। 2024 में बंगलादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार बनने के बाद तुर्की और बंगलादेश के बीच संबंधों में अचानक तेजी आई है। तुर्की ने बंगलादेश को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है और तुर्की की सत्तारूढ़ पार्टी एकेपी से जुड़े कई इस्लामी एनजीओ वहां सक्रिय हो गए हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस रणनीतिक निकटता में एक प्रमुख कड़ी के रूप में कार्य कर रहा है। ग्रेटर बंगलादेश की अवधारणा एक कट्टरपंथी विस्तारवादी सोच को दर्शाती है, जिसमें बांग्ला भाषी क्षेत्रों को एक राष्ट्र में मिलाने का सपना देखा जाता है। इसमें भारत के पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और म्यांमार का अराकान क्षेत्र शामिल है।

हालांकि यह विचार बंगलादेश की मुख्यधारा में स्वीकार्य नहीं है लेकिन समय-समय पर इस्लामी समूहों और सोशल मीडिया पर यह भी उभरता रहता है। पिछले साल दिसम्बर 2024 में यूनुस सरकार के एक करीबी सहयोगी महफूज आलम ने एक ऐसा ही नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया था ​जिसमें भारतीय राज्यों को बंगलादेश का हिस्सा बताया गया था। भारत ने इस पर तीव्र आपत्ति जताते हुए ढाका को कड़ा विरोध दर्ज कराया था। अब जब तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की मिलीभगत से बंगलादेश की धरती पर भारत​ विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं तो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस घटनाक्रम को गम्भीरता से लेना शुरू कर दिया है। भारत के लिए ‘चिकन नेक’ यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर जैसी संवेदनशील जगहों की सुरक्षा और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और तुर्किए भारत के प्रत्यक्ष दुश्मन की भूमिका में थे जबकि चीन ने पाकिस्तान को हर संभव मदद करते हुए उसे सैटेलाइट और अन्य माध्यमों से खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई कि भारत की सैन्य तैयारियां कहां और कैसी हैं। अब यह साफ हो चुका है कि बंगलादेश पाकिस्तान और चीन का त्रिकोण भारत के लिए नई चुनौतियां पैदा करने का रहा है। यानि भविष्य में भारत को तीनों से लड़ना पड़ सकता है। चीन पाकिस्तान को अपने हथियार बेच रहा है। तुर्किए ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक ड्रोन दिए हैं। पिछले महीने 19 जून को बंगलादेश, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी जिसमें सार्क जैसा संगठन बनाने पर भी विचार हुआ। पाकिस्तान पहले ही चीन के कर्ज में डूबा हुआ है और बंगलादेश में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने इन तीनों के गठजोड़ को भारत के लिए खतरनाक करार दिया है। विश्व बैंक का अनुमान है कि पाकिस्तान को चीन का कर्ज चुकाने में 40 साल से ज्यादा समय लग सकता है। चीन इसी स्थिति का फायदा उठाकर दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है।

बंगलादेश भी चीन के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। शेख हसीना के कार्यकाल के 15 वर्ष बंगलादेश की अर्थव्यवस्था के लिए स्वर्णिम वर्ष रहे। लंबे समय तक बंगलादेश को दक्षिण एशिया में आर्थिक प्रगति का एक शानदार उदाहरण माना जाता रहा है। इस ने रेडीमेड, गारमेंट्स, धन प्रेषण, गरीबी उन्मूलन, मानव संसाधन, विकास और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में दुनिया में अपनी पहचान बनाई लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि बंगलादेश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। व्यापार प्रभावित हो चुका है। बैंकों और वित्तीय खाताधारकों की दर भी तेजी से घट रही है। मोहम्मद यूनुस चीन और पाकिस्तान से रिश्ते बनाकर बंगलादेश की स्थिति सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगलादेश की चीन पाकिस्तान से मिलकर गठजोड़ की कोशिशें सफल नहीं होंगी। क्योंकि तीनों में से कोई भी एक-दूसरे के साथ सीमा साझा नहीं करता।

दरअसल बंगलादेश के सामने असली चुनौती इस पहल को अपनाने या इससे पीछे हटने में नहीं, बल्कि इसके दुष्परिणामों को संभालने में है। अगर भविष्य की सरकारें इससे दूरी बनाने का फैसला भी कर लें, तो भी कूटनीतिक नुक्सान खासकर चीन के साथ की भरपाई करना मुश्किल हो सकता है। इससे बंगलादेश की विदेश नीति की दिशा में स्पष्टता की ​चिंताजनक कमी का पता चलता है। पिछले 15 वर्षों में भारत के साथ संबंध मजबूत हुए हैं, लेकिन असंतुलन यह लागत के बिना नहीं एक अधिक संतुलित रणनीति की ओर बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से है लेकिन इसे दूरदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए, न कि सीमित अधिकारों वाली अंतरिम सरकार के तहत जल्दबाजी में। ऐसा लगता है कि सीमित अधिकारों वाली अंतरिम सरकार जल्दबाजी में है। चीन और भारत दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलना कूटनीतिक कौशल का विषय है। कभी सत्यजीत रे का पैतृक घर तोड़कर या भारत के विरोध करने से ही बंगलादेश मजबूत नहीं होगा।

बंगलादेश में लगी आग की लपटें अब दूर-दूर तक पहुंच चुकी हैं। आतंकवादियों को संरक्षण देने और बंगलादेश में बढ़ती हिंसा के ​​विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। भारत सतर्क होकर किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए अपनी रक्षा तैयारियां मजबूत कर रहा है और साथ ही नए कूटनीतिक विकल्पों की तलाश भी कर रहा है। बंगलादेश का भी वही हश्र होगा जो चीन के कर्जजाल में फंसे श्रीलंका, मालदीव और पाकिस्तान का हो रहा है। भारत रणनीतिक कौशल से आगे बढ़ रहा है और बंगलादेश में अराजकता फैल रही है। यही अराजकता उसे ले डूबेगी।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×