वैश्विक तनाव से डरा बांग्लादेश! देश में एक्टिव किया नया रडार सिस्टम, जानें इसकी खासियत
वैश्विक तनाव से डरा बांग्लादेश! एक्टिव किया नया रडार सिस्टम
बांग्लादेश वायुसेना ने फ्रांस से खरीदे गए जीएम 403एम रडार को अपनी सुरक्षा सिस्टम में शामिल किया है. यह रडार सिस्टम फ्रांसीसी रक्षा कंपनी द्वारा विकसित की गई है और इसे अप्रैल 2024 में टेस्टिंग के तौर पर बांग्लादेश में परखा गया था. सफल टेस्टिंग के बाद इसे अब पूरी तरह ऑपरेशनल कर दिया गया है.
Bangladesh news: एक तरफ जहां, एशिया में ताइवान और चीन के बीच तनाव के हालात बने हुए हैं, तो दूसरी और मिडिल ईस्ट में इजराइल-ईरान युद्ध चरम पर है. इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए बांग्लादेश ने अपनी वायु सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से एक आधुनिक रडार सिस्टम को एक्टिव किया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश वायुसेना ने फ्रांस से खरीदे गए जीएम 403एम रडार को अपनी सुरक्षा सिस्टम में शामिल किया है. यह रडार सिस्टम फ्रांसीसी रक्षा कंपनी द्वारा विकसित की गई है और इसे अप्रैल 2024 में टेस्टिंग के तौर पर बांग्लादेश में परखा गया था. सफल टेस्टिंग के बाद इसे अब पूरी तरह ऑपरेशनल कर दिया गया है.
ढाका और चटगांव में तैनाती
इस रडार सिस्टम को बांग्लादेश के दो प्रमुख क्षेत्रों, चटगांव और ढाका के आस-पास एक्टिव किया गया है. सेना के उच्च अधिकारियों ने इसकी तैनाती की निगरानी की और इसे राष्ट्र की रक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया है.
बांग्लादेश में पहली बार इतने एडवांस तकनीक वाला रडार सिस्टम उपयोग में लाया गया है. यह 3डी एईएसए (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) तकनीक पर आधारित है, जो इसे एक साथ कई हवाई लक्ष्यों की पहचान और निगरानी में सक्षम बनाता है.
क्या है इस रडार की खासियत?
जीएम 403एम रडार सिस्टम की खास बात यह है कि यह लड़ाकू विमानों, ड्रोन और यहां तक कि मिसाइलों को भी ट्रैक कर सकता है. यह कम और ऊंची दोनों ऊंचाइयों पर उड़ने वाले लक्ष्यों का सटीक पता लगाने में सक्षम है. यह सिस्टम लगभग 470 किलोमीटर दूर तक के हवाई खतरे को भांप सकती है.
बांग्लादेश के लिए बड़ी उपलब्धि
बांग्लादेश की वायुसेना के लिए यह रडार एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इससे उसकी हवाई सुरक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय इज़ाफा होगा. साथ ही, यह प्रणाली खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में भी काफी सक्षम मानी जाती है. रडार की अनुमानित कीमत लगभग 140 मिलियन डॉलर (करीब 12 अरब रुपए) बताई जा रही है.
अन्य देशों में भी उपयोग
इस रडार सिस्टम का उपयोग केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि कनाडा, फिनलैंड, मलेशिया, एस्टोनिया, स्लोवेनिया और फ्रांस जैसे विकसित देशों द्वारा भी किया जा रहा है, जिससे इसकी वैश्विक विश्वसनीयता और गुणवत्ता स्पष्ट होती है.
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