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हो जाइए टेंशन फ्री! अब घर बैठे प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराएं ऑनलाइन, जानें डिटेल्स

अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए नहीं जाना पड़ेगा ऑफिस

01:41 AM May 28, 2025 IST | Shivangi Shandilya

अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए नहीं जाना पड़ेगा ऑफिस

हो जाइए टेंशन फ्री  अब घर बैठे प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराएं ऑनलाइन  जानें डिटेल्स

मोदी सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है। नए विधेयक में विक्रय अनुबंध और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेजों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन शामिल होगा। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और धोखाधड़ी रोकने के लिए आधार सत्यापन के साथ लिया गया है। सरकार ने 25 जून तक लोगों से सुझाव मांगे हैं।

केंद्र की मोदी सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने एक नए विधेयक का मसौदा तैयार किया है, इसमें संपत्ति के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ-साथ विक्रय अनुबंध, पावर ऑफ़ अटॉर्नी और अन्य दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन को भी शामिल किया गया है। यह 117 साल पुराने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन एक्ट की जगह बहाल होगा। इसके तहत संपत्ति का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा। इसके साथ-साथ इसे जुड़े जरुरी दस्तावेजों को भी डिजिटल करना होगा।

इस वजह से लिया गया ये फैसला

बता दें कि सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि रजिस्ट्रेशन में तेजी आए, पारदर्शी बना रहे और लोगों के लिए आसान हो। इस बिल को ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग में बनाया गया है। इसके लिए 25 जून तक लोग अपनी राय दे सकते हैं। दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने और पंजीकरण के अलावा, सरकार ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए ‘सहमति’ के साथ आधार सत्यापन का प्रस्ताव दिया है। जो लोग आधार नहीं देना चाहते हैं, उनके लिए सत्यापन के अन्य तरीके भी होंगे। साथ ही, विभाग ने कहा कि मसौदा कानून में सूचना के आदान-प्रदान को बेहतर बनाने के लिए अन्य रिकॉर्ड रखने वाली एजेंसियों के साथ जुड़ने का सुझाव दिया गया है।

घर बैठे प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराएं ऑनलाइन

धोखाधड़ी से बचने में मिलेगी मदद

मसौदा में संपत्ति से संबंधित डेटा तक पहुंच को सरल बनाने और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए पंजीकरण प्रणालियों को अन्य रिकॉर्ड रखने वाली एजेंसियों के साथ जोड़ने की भी सिफारिश की गई है। अधिकारियों ने कहा कि यह विधेयक सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के लेन-देन में पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता के अनुरूप आधुनिक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को दर्शाता है। कई राज्य पहले ही पुराने कानून के तहत डिजिटल परिवर्तन ला चुके हैं और अब केंद्र सरकार पूरे भारत में एक ही डिजिटल प्रणाली बनाना चाहती है।

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