टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

बेरूत के धमाके दुनिया के लिए सबक

लेबनान की राजधानी बेरूत से जुड़ी एक कहानी है। कहते हैं कि दस हजार साल के अतीत में यह शहर 7 बार राख हुआ और सातों बार अपनी ही राख से उठ खड़ा हुआ। दूसरे लोग बेरूत की यह कहानी मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं

12:34 AM Aug 08, 2020 IST | Aditya Chopra

लेबनान की राजधानी बेरूत से जुड़ी एक कहानी है। कहते हैं कि दस हजार साल के अतीत में यह शहर 7 बार राख हुआ और सातों बार अपनी ही राख से उठ खड़ा हुआ। दूसरे लोग बेरूत की यह कहानी मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं

लेबनान की राजधानी बेरूत से जुड़ी एक कहानी है। कहते हैं कि दस हजार साल के अतीत में यह शहर 7 बार राख हुआ और सातों बार अपनी ही राख से उठ खड़ा हुआ। दूसरे लोग बेरूत की यह कहानी मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं मगर बेरूत के लोग कहते हैं क उनका शहर शापित है। लेबनान में लम्बे समय से हिंसा का माहौल है। उसने 1975 से 1990 तक 15 साल लम्बा गृह युद्ध झेला है। कार धमाके, राकेट लांचर से अटैक जैसी घटनाएं लोगों के जीवन का हिस्सा बन गई थीं लेकिन चार अगस्त को बेरूत शहर में जो हुआ, वैसा मंजर पहले कभी किसी ने नहीं देखा। बेरूत के तट पर एक जब्त किए गए जहाज से लगभग तीन हजार टन अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था। तभी से ये अमोनियम नाइट्रेट बंदरगाह के पास एक गोदाम में रखा गया था। अमोनियम नाइट्रेट ने आग पकड़ ली और इसके जखीरे में जबदस्त धमाका हो गया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि समूचा शहर हिल गया। धमाके में मकान तबाह हो गए। 150 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 4 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए। तीन लाख लोग बेघर हो चुके हैं। बेरूत में जिस जगह धमाका हुआ वहां से 150 मील की दूरी पर पूर्वी भूमध्य सागर के द्विपीय देश साइप्रस में भी धमाके की आवाज सुनाई दी। बेरूत में चारों तरफ तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। अमोनियम नाइट्रेट एक औद्योगिक रसायन  है जिसका इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में उर्वरक के तौर पर होता है। खनन उद्योग में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल विस्फोटक के रूप में होता है। 
Advertisement
इस कैमिकल कम्पाउंड का इस्तेमाल दुनिया भर की सेनाएं विस्फोटक के तौर पर भी करती हैं। आतंकवादी संगठन इसका इस्तेमाल करते हैं। वर्ष 1995 में अमेरिका की ओक्लाहोमा सिटी में हुए धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का कहर दुनिया ने देखा था। इस घटना में टिमोथी मेकवे नामक शख्स ने दो टन अमोनियम ​नाइट्रेट का इस्तेमाल करके एक ऐसा बम तैयार किया था जिससे एक फेडरल बिल्डिंग उड़ा दी गई थी और उस धमाके में 168 लोगों की जान चली गई थी। ऐसी घटनाएं जर्मनी और चीन में भी हो चुकी हैं।
धमाके होने के ठीक पहले लोगों ने आसमान में कुछ हवाई जहाज देखे थे। पहले तो उन्हें लगा शायद दुश्मन देश इस्राइल ने हमला कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में इस्राइल और हिजबुल्लाह में तनाव बना हुआ था। इस्राइल ने लेबनान पर हवाई हमला किया था, जिसमें हिजबुल्लाह के एक कमांडर की मौत हो गई थी। इसके बाद से ही लेबनान और इस्राइल में झड़पें हो रही थीं, लेकिन बाद में लेबनान ने किसी भी हमले की आशंका को खारिज किया।
दुनिया एक ही सवाल कर रही है कि इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे। यह किसकी लापरवाही से हुआ। इतना विस्फोटक एक साथ स्टोर करके क्यों रखा गया, वह भी सात वर्षों से। जनता का भरोसा सरकार से उठ चुका है। इन धमाकों ने लेबनान के ​लिए दोहरा संकट खड़ा कर दिया है। वहां की अर्थव्यवस्था पहले ही पूरी तरह विफल हो चुकी है। एक बड़ी आबादी को भरपेट खाना भी मयस्सर नहीं हो रहा। लेबनान की जनता 11 महीनों से सड़कों पर उतरी हुई है। शहरों में आए दिन हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। लेबनान की 85 फीसदी आबादी को अन्तर्राष्ट्रीय मदद की जरूरत है। न केवल बचाव कार्य के लिए बल्कि लोगों का पेट भरने के लिए भी लेबनान ने दुनिया भर से मदद मांगी है। धमाकों में हुए घायलों में कुछ भारतीय भी शामिल हैं। भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और अरब देश मदद के लिए आगे चुक​े है। कांच से लेकर अनाज तक सब बेरूत में आयात होकर आता है। बेरूत रो रहा है, बेरूत चिल्ला रहा है, बेरूत को खाना चाहिए, बेरूत को कपड़े चाहिए। 
यह हादसा मानव निर्मित है। बेरूत के धमाके पूरी दुनिया के लिए सबक हैं कि महानगरों के आसपास खतरनाक रसायन रखे ही नहीं जाएं। इनके भंडारण के लिए नियम सख्त बनाए जाएं। भारत ने भी भोपाल गैस त्रासदी को झेला है। मानवीय चूक या नियमों की अनदेखी हजारों लोगों की जान ले लेती है और हजारों लोगों का जीवन नारकीय बना देती है। लेबनान में धमाके भी उस समय हुए हैं जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पतालों में पहले ही जगह की कमी है। गृह युद्ध के बाद से ही लेबनान की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दिनों में से गुजर रही है। देश के अधिकांश लोग इस ​स्थिति के लिए कुलीन वर्ग की राजनीति को जिम्मेदार मानते हैं जिनकी दौलत तो लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन वे लोग देश की समस्याओं का निदान निकालने में विफल रहे हैं। लोगों को न पर्याप्त भोजन, न बिजली और न ही अस्पतालों में इलाज मिल रहा है। दुनिया जान ले कि यद्यपि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ रहा है लेकिन खतरनाक रसायनों का भंडारण और इस्तेमाल अत्यंत सावधानीपूर्वक करना होगा। अन्यथा मान लें कि वे बारूद के ढेर पर बैठे हैं आैर भयंकर हादसा कभी भी घट सकता है। वैसे भी वैश्विक शक्तियों में परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ रही है, बड़े से छोटे देश भी खुद को परमाणु ताकत बनाने के लिए कोशिशें कर रहे हैं। ऐसे में मानव जाति के हितों की किसी को परवाह भी नहीं। 
बेरूत अपनी राख से फिर उठ खड़ा होगा लेकिन देश के पुनर्निर्माण के लिए विदेशी मदद की जरूरत है। यूरोपीय संघ, रूस, ट्यूनीशिया, तुर्की, ईरान और कतर भी राहत सामग्री भेज रहे हैं। विषम परिस्थितियों में लोगों की रक्षा के लिए विश्व के देशों को एकजुट होकर लेबनान की मदद करनी होगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Next Article