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बंगाल सरकार का बजट जनविरोधी, रोजगार के लिए कोई प्रावधान नहीं : शुभेंदु अधिकारी

शुभेंदु अधिकारी ने कहा, बंगाल सरकार का बजट बेरोजगारी विरोधी

04:19 AM Feb 12, 2025 IST | IANS

शुभेंदु अधिकारी ने कहा, बंगाल सरकार का बजट बेरोजगारी विरोधी

बंगाल सरकार का बजट जनविरोधी  रोजगार के लिए कोई प्रावधान नहीं   शुभेंदु अधिकारी

पश्चिम बंगाल विधानसभा में बुधवार को वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बजट पेश किया। जब वो बजट पेश कर रही थीं, तो भाजपा विधायकों ने विधानसभा का बहिर्गमन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई के वरिष्ठ नेता और नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बजट को जनविरोधी करार दिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम सदन में कई बार विरोध कर चुके हैं, क्योंकि यह बजट जनविरोधी है। यह सरकार दिवालिया सरकार है। बजट में रोजगार के लिए कोई प्रावधान नहीं है, हमें रोजगार चाहिए। यहां बंगाल में दो करोड़ से ज्यादा बेरोजगार युवा हैं, उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। हमारे राज्य में रोजगार कार्यालय बंद हो गया है। यह बेरोजगारी विरोधी बजट है। 2.15 करोड़ बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात किया गया है। वह मुख्यमंत्री, जिन्होंने 2011 में मंच पर खड़े होकर नौकरियों का वादा किया था। इस बजट में एक भी रोजगार सृजन का उल्लेख नहीं है। यह बजट उत्तर बंगाल-सुंदरबन-जंगलमहल विरोधी बजट है।

उन्होंने आगे कहा कि इस बजट में पूरे उत्तर बंगाल में नदी कटाव, चाय बागानों के विकास या चाय श्रमिकों की योजनाओं के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। यह बजट किसान विरोधी बजट है। उनको कोई धनराशि आवंटित नहीं है। इस बजट में हमारे पश्चिमी जिलों के लोगों के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। कुल मिलाकर यह एक झूठा बजट है। भाजपा 2026 में पूर्ण बजट पेश करेगी। हम हर घर में एक नौकरी उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने लक्ष्मी भंडार योजना पर भी बात करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत शिवराज सिंह चौहान ने अपने राज्य में की थी, जिसकी नकल ममता बनर्जी ने की। स्वास्थ्य, शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘इसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि राज्य 6,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ से कैसे बाहर निकलेगा।

उन्होंने लक्ष्मी भंडार योजना पर भी बात करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत शिवराज सिंह चौहान ने अपने राज्य में की थी, जिसकी नकल ममता बनर्जी ने की। स्वास्थ्य, शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘इसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि राज्य 6,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ से कैसे बाहर निकलेगा।

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