बेंगलुरु भगदड़: आरसीबी अधिकारी ने गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी
आरसीबी अधिकारी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट में सुनवाई
आरसीबी के मार्केटिंग प्रमुख निखिल सोसले ने बेंगलुरु में भगदड़ के मामले में अपनी गिरफ्तारी को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उन्होंने इसे अवैध और मनमानी बताते हुए कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें गिरफ्तार किया गया। कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अन्य अधिकारियों ने भी एफआईआर को रद्द करने की अपील की है।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के मार्केटिंग और रेवेन्यू हेड निखिल सोसले ने शुक्रवार को आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ के सिलसिले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सोसले को बेंगलुरु पुलिस ने 6 जून (शुक्रवार) की तड़के गिरफ्तार किया था। उन्होंने तर्क दिया है कि गिरफ्तारी अवैध, मनमानी और कानून के अनुसार नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें बिना किसी सामग्री के और पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच किए जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग की है। इससे पहले दिन में, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) के अध्यक्ष रघु राम भट, सचिव ए शंकर, कोषाध्यक्ष ईएस जयराम याचिका और केएससीए के अन्य पदाधिकारियों ने भगदड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) पर गैर इरादतन हत्या, अवैध रूप से एकत्र होने और अन्य गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया
11 लोगों की जान लेने वाली भगदड़ के एक दिन बाद, कर्नाटक पुलिस ने बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त बी दयानंद सहित कई आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। दयानंद के अलावा, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विकास कुमार विकास, पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय) शेखर एचटी, सहायक पुलिस आयुक्त बालकृष्ण और कब्बन पार्क पुलिस निरीक्षक गिरीश एके को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
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भगदड़ का राजनीतिकरण
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को हाल ही में हुई भगदड़ का राजनीतिकरण करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की। उनकी टिप्पणी भाजपा द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर घटना में पुलिस को “बलि का बकरा” बनाने का आरोप लगाने के बाद आई है। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो “स्पष्ट रूप से जिम्मेदार” और “अपने कर्तव्य में लापरवाह” पाए गए।