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हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टा पुलिस की शह पर जारी

हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टा पुलिस की शह पर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। कुछ बाहरी लोगों को पकड़ कर पुलिस इतश्री कर लेती है, लेकिन इस अवैध काले कारोबार में स्थानीय पुरुषों से लेकर महिलाएं एवं छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

06:00 PM Dec 17, 2022 IST | Ujjwal Jain

हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टा पुलिस की शह पर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। कुछ बाहरी लोगों को पकड़ कर पुलिस इतश्री कर लेती है, लेकिन इस अवैध काले कारोबार में स्थानीय पुरुषों से लेकर महिलाएं एवं छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टा पुलिस की शह पर जारी
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हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी): हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टा पुलिस की शह पर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। कुछ बाहरी लोगों को पकड़ कर पुलिस इतश्री कर लेती है, लेकिन इस अवैध काले कारोबार में स्थानीय पुरुषों से लेकर महिलाएं एवं छोटे बच्चे भी शामिल हैं। शहर में चर्चा यह भी है कि पुलिस सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी हुई है। हरिद्वार क्षेत्र में इस काले कारोबार को करने वालों के हौंसले इतने बुलंद है कि पुलिस का जरा भी खौफ नहीं दिखता। खुलेआम सड़कों पर शाम के समय दुकान लगाकर सब्जी मंडी की तरह इस काले कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। सट्टे के नंबरों को दिन में तीन बार खोला जा रहा है, जिसे खबरों के नाम से जाना जाता है। सट्टा खोलने का समय सुबह 4 बजे को चार वाली खबर और शाम को 6 बजे वाली खबर तथा रात 10 बजे वाली खबर के नाम से जाना जाता है।
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हरिद्वार क्षेत्र में कम से कम 30 से 40 सटोरियों के मुंशी हरिद्वार तीर्थ नगरी में सट्टे को अंजाम दे रहे हैं, जिसमें श्रवण नाथ नगर, दिल्ली‌-देहादून रोड, ब्रह्मपुरी, कनखल, ज्वालापुर, शिवलोक कॉलोनी व खन्ना नगर और कहीं भी क्षेत्र में शामिल है। क्षेत्र के कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस काले कारोबार को करने वाला कोई और नहीं बल्कि पुलिस व नेता ही मेहरबान हो रहे हैं। उनका कहना है कि यह सट्टा हरिद्वार क्षेत्र पर इस काले कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है, हैरान कर देने वाली बात यह है कि छोटे-छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में है, शहर में चर्चा यह भी है की उनके द्वारा ही सट्टा नंबर की पर्ची दी जाती है, पहले कई बार समाचार पत्रों में इस खबर को प्रकाशित किया जा चुका है, सटोरियों का साफ कहना है कि जब उनका पैसा हाईलेवल तक पहुंचता है तो कोई उनका क्या बिगाड़ सकता है, हम जेब में पैसे रखकर कार्य करते है। इतना ही नहीं यह कार्य क्षेत्र में बहुत बड़ी मात्रा में किया जा रहा है, प्रशासन द्वारा इस पर लगाम नहीं कसी गई तो बर्बादी के कगार पर होंगे।
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