Bhadrapada Purnima 2025: भाद्रपद पूर्णिमा पर लग रहा है चंद्र ग्रहण, इस समय जरूर बरतें ये सावधानियां
Bhadrapada Purnima 2025: आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, इसे पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध भी कहा जाता है। आज के दिन 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा भी है और साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। शस्त्रों के अनुसार ग्रहण काल को अशुभ माना गया है, इस समय कई सावधानियां बरतनी पड़ती है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा और चंद्र देव की पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन पितरों के नाम का तर्पण, पिंडदान और पंचबलि कर्म करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
माना जाता है कि इस दिन जल अर्पण, तिल-तर्पण और श्राद्ध भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते है कि भाद्रपद पूर्णिमा कब से कब तक है और भाद्रपद पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए क्या करें।
भाद्रपद पूर्णिमा 2025 (Bhadrapada Purnima)
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 6 सितंबर, मध्यरात्रि 1:42 बजे से
पूर्णिमा तिथि का समापन – 7 सितंबर, रात 11:39 बजे तक
पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व (Purnima Shradh Mahatva)
पूर्णिमा श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है, जिनका देहांत पूर्णिमा तिथि को हुआ हो। माना जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हर साल पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और आश्विन मास की अमावस्या को समापन होता है। विद्वानों के अनुसार, श्राद्ध के सभी कार्य दोपहर 12 बजे के बाद से मध्य रात्रि रात 12 बजे के पहले पूरे कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अनुष्ठान करने के बाद तर्पण करना जरुरी है, इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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चंद्र ग्रहण 2025 (Chandra Grahan 2025)
चंद्र ग्रहण की शुरुआत: 7 सितंबर, रात 9:58 बजे से
चंद्र ग्रहण का समापन: 8 सितंबर, मध्य रात्रि 1:26 बजे तक
ये सावधानियां बरतें (Chandra Grahan Ki Savdhaniyan)
- चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले से भोजन और पानी ग्रहण न करें। यदि पानी पीना जरुरी है तो केवल गंगाजल पिएं।
- इस समय कोई भी शुभ कार्य जैसे- मकान खरीदना, मांगलिक कार्य, गृह प्रवेश, शादी आदि न करें।
- चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।
- इस समय पवित्र वृक्षों जैसे- तुलसी, पीपल, बरगद को न छुएं।
- पूजा-पाठ न करें और मंदिर के कपाट बंद रखें।
ये उपाय करें (Chandra Grahan Upay)
- घर में तुलसी के पत्ते, कुशा, तिल रखें, इससे आप शुभ प्रभाव के सुरक्षित रह सकते हैं।
- पितरों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें।
- भगवान विष्णु और चंद्र देव के मंत्रों का जाप और ध्यान करना शुभ माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- ग्रहण ख़तम होने के बाद घर में सफाई करें और पवित्र स्थानों पर गंगाजल छिड़कें।
- ये उपाय अपनाकर आप भाद्रपद पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
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