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Bhaum Pradosh Vrat 2025: ऋण मुक्ति के लिए रामबाण है भौम प्रदोष व्रत, जानिए तारीख़

भौम प्रदोष व्रत से मिलेगी ऋण मुक्ति, जानिए व्रत की तारीख़ और विधि

10:29 AM Mar 03, 2025 IST | Astrologer Satyanarayan Jangid

भौम प्रदोष व्रत से मिलेगी ऋण मुक्ति, जानिए व्रत की तारीख़ और विधि

आधुनिक समय में लोग अधिकाधिक सुविधा पसंद होने लगे हैं। प्रायः देखा जाता है कि कुछ लोग अनावश्यक वस्तुओं की खरीद कर लेते हैं जो वस्तु कीमत की तुलना में उपयोगी नहीं होती है। लेकिन आप पर एक निश्चित ऋण भार हो जाता है। कुछ मामलों में हम किसी बिजनेस को आरम्भ करने के लिए लोन लेते हैं लेकिन दुर्भाग्य से बिजनेस चल नहीं पाता है। क्योंकि किसी भी बिजनेस को चलने में एक निश्चित समयावधि की आवश्यक होती है जो कि आमतौर पर बिजनेस को आरम्भ करने वाले लोग समझ नहीं पाते हैं। जल्दी सफलता की आशा में बिजनेस आरम्भ कर देते हैं फलस्वरूप अपना ऋण चुकाने में परेशानी आने लगती है। कई बार स्थिति बहुत विकट हो जाती है। ऋण की राशि हमारी संपत्ति की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है जिसके कारण हम समझ नहीं पाते हैं कि क्या किया जाए। इस स्थिति में जो लोग मानसिक तौर पर बहुत परिपक्व नहीं होते हैं वे लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसे इस तरह से भी कह सकते हैं कि जिनकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा पाप ग्रहों से पीड़ित हो वे इस तरह के निर्णय बहुत शीघ्रता से लेते हैं जो कि किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

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ज्योतिषीय उपाय हो सकता है प्रभावी

यदि आप ज्योतिषीय उपाय करें तो निश्चित तौर पर एक निश्चित समय के बाद ऋण से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसलिए ऋण की समस्या यदि अधिक हो जाए तो एक बार ज्योतिष के उपायों को जरूर करना चाहिए। मैंने देखा है कि ज्यादातर मामलों में जीवन शैली में बदलाव, खराब ग्रहों के मंत्र जाप और हस्ताक्षर आदि में बदलाव करने से ही ऋण से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।

प्रदोष व्रत है ऋण मुक्ति का वैदिक उपाय

हमारे ऋषि-मुनियों ने आदि काल से समस्याओं को समझने और उनके उपाय करने के बारे में बहुत से दिशा-निर्देश प्रदान किये हैं। यदि हम उनको फोलो करें तो निश्चित तौर पर बहुत सी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। इसी क्रम में मैं यहां प्रदोष व्रत के बारे में बता रहा हूँ। इस व्रत को नियमित रूप से करने से कर्ज उसी प्रकार भाग जाता है जिस प्रकार से सूर्योदय होने पर अंधकार भागता है। हालांकि इसमें एक से दो वर्ष का समय लग सकता है लेकिन परिणाम 100 प्रतिशत आता है, यह तय बात है। इस व्रत की एक खास विशेषता यह भी है कि कर्ज मुक्ति के साथ शत्रुओं को नष्ट करने क्षमता बोनस के रूप में मिलती है।

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क्या है प्रदोष व्रत

पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को मिलाकर पांच अंग होते हैं। इसलिए इस वार्षिक पत्रिका को पंचांग कहा जाता है। इसी पंचांग के आधार पर प्रदोष व्रत का दिन देखा जाता है। प्रत्येक माह में शुक्ल और कृष्ण पक्ष में दो त्रयोदशी तिथियां होती हैं। किसी भी त्रयोदशी तिथि को यदि मंगलवार हो तो भौम प्रदोष होता है। यहां एक बात मैं अपने पाठकों के हितार्थ क्लीयर कर दूं कि ऋण मुक्ति के लिए सभी प्रदोष व्रत करने चाहिए। यद्यपि भौम प्रदोष विशेष प्रभावी होता है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है कि त्रयोदशी तिथि मंगलवार को ही आए। इसलिए सभी प्रदोष व्रत करने चाहिए। प्रदोष व्रत भगवान शिव की एक विशेष उपासना है। यह ऋण मुक्ति के लिए रामबाण उपाय माना गया है। इसलिए ऋण मुक्ति के इच्छुक लोगों को प्रत्येक प्रदोष व्रत रखना चाहिए।

कब है भौम प्रदोष व्रत

11 मार्च 2025 को भौम प्रदोष व्रत है। भारतीय पंचांग के अनुसार संवत् 2081 में श्री फाल्गुन शुक्ल पक्ष, मंगलवार को द्वादशी तिथि है लेकिन द्वादशी तिथि प्रातः 8 बजकर 15 मिनट तक ही रहेगी। उसके बाद त्रयोदशी तिथि का आरम्भ हो जायेगा, इसलिए भौम प्रदोष व्रत मंगलवार द्वादशी तिथि को ही मान्य होगा। हालांकि मासिक प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को मान्य है। जो लोग सभी वारों में आने वाले प्रदोष व्रत रखते हैं उन्हें भौम प्रदोष में विशेष पूजा की आवश्यकता नहीं है। वे जो रूटीन में करते हैं वही करते रहें।

कैसे करें प्रदोष व्रत

जैसा कि मैं लिख चुका हूं कि मूलतः भगवान शिव की आराधना है। प्रदोष व्रत रखने वाला प्रातः शीघ्र उठ कर नित्य कर्म करे। पूरी तरह से शुद्धता रखते हुए गंगा जल, चावल, बेलपत्र और दीप से भगवान शिव की पूजा करें। व्रत के नियमानुसार निराहार रहना है। कुछ विद्वानों का मत है कि इस व्रत में जल का सेवन भी नहीं करना चाहिए। लेकिन भगवान की आराधना में मन की आस्था महत्वपूर्ण होती है। यदि आपकी शिव में पूरी आस्था है तो प्रदोष व्रत में जल या फलाहार किया जा सकता है। दूसरा पहलू यह भी है कि यदि स्वास्थ्य कमजोर हो तो दूध या फल का सेवन किया जा सकता है, लेकिन अनाज नहीं खाना है। संध्या बेला में पुनः स्नान आदि करके भगवान शिव की पूजा करनी है।

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