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युवाओं को भुज स्थित 'भुजिया किला' बेहद है पसंद, दिल्ली से आप यहां पर महज 500 रुपये में पहुंच सकते हैं

जब भी लोगों को मौका मिलता है तो वह छुट्टियों पर चले जाते हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं जो छुट्टियां मनाने के लिए दस बार सोचते हैं उसके बाद अपना कोई प्लान बनाते हैं।

12:06 PM Jul 17, 2019 IST | Desk Team

जब भी लोगों को मौका मिलता है तो वह छुट्टियों पर चले जाते हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं जो छुट्टियां मनाने के लिए दस बार सोचते हैं उसके बाद अपना कोई प्लान बनाते हैं।

जब भी लोगों को मौका मिलता है तो वह छुट्टियों पर चले जाते हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं जो छुट्टियां मनाने के लिए दस बार सोचते हैं उसके बाद अपना कोई प्लान बनाते हैं। हर किसी को काम करने के बाद थोड़ा तो आराम और घूमने का हक होता है। आप से हम यही कहेंगे कि अपने लिए समय निकाल घूमने जरूर जाएं।
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 इस बात का जरूर ख्याल रखें जहां पर भी आप जा रहे हैं वहां पर आपको सुकून,कम भीड़भाड़ ये सब हो। कई लोगों को पुरानी चीजों का बहुत शौक होता है जिसे देखने के लिए वह कुछ भी कर देते हैं। आज हम आपके लिए इतिहास में से एक ऐसी चीज आपके लिए लाएं हैं जिसे देखकर आप भी खुश हो जाएंगे। दुनिया में कई सारे लोग हैं जो इतिहास के प्रेमी होते हैं और उन्हें इतिहास के पन्नों को पढ़ना बहुत पसंद होता है।
आज हम आपको ऐसी ही इतिहास की जगह बताने जा रहे हैं जहां पहाड़, शांति, सुकून के लिए एक विख्यात मंदिर और अद्भुत इतिहास है जिसको जानने केे बाद आपको भी अपने देश पर गर्व होगा। 
भुज शहर गुजरात के कचच में है। उस जगह पर भुजिया फोर्ट है। पहाड़ी के ऊपर बहुत ऊंचाई पर यह किला बना हुआ है। बता दें कि भुजंग नाम का एक मंदिर इस किले के अंदर है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। प्रथम राव गोडजी ने इस भुजिया किले केे बनवाया था। इस किले के निर्माण की जब भी बात होती है जो इतिहासकार यही कहते हैं कि यह 1800 शताब्दी में बना था। युवाओं को यह किला इसकी खूबसूरती के लिए बहुत पसंद आता है। 
भुजिया किला बाकि किलों की तरह ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। अपने राज्य की सुरक्षा के अनुसार इस भुज किले को सीमा पर बनावाया गया था। ऐसा इसलिए किया था ताकि राज्य को आक्रमणकारियों से बचाया जा सके। इतिहासकारों का कहना है कि 6 बार इस किले पर आक्रमण हुआ है। 
एक बार जब इस किले पर आक्रमण हुआ था तो किले को दुश्मन की सेना से बचाने के लिए सैनिकों की सहायता के लिए नाग कबीले के सरदार भुजंग नाग आए थे। इस युद्ध में नाग भुजंग शहीद हो गए थे। जिस जगह पर वह रहते थे वहां पर उनके नाम का मंदिर बना हुआ है और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम भुज रखा गया। यहां पर दर्शन और पूजा करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं। बता दें कि यहां पर नागपंचमी में मेला लगाया जाता है। 

शॉपिंग

जब भी शॉपिंग की बात आती है तो हर कोई उत्सुक हो जाता है। यहां पर हाथों से बना हुआ खूबसूरत सामान मिलता है और लोगों को बहुत पसंद भी आता है। यहां पर आपको हाथ से बनी हुई जूतियां, मैट्स, पेंटिंग जैसी चीजें मिलती हैं।

भुज पर ऐसे पहुंचें

गुजरात राज्य के ज्यादातर शहरों से भुज का रास्ता सड़क से जुड़ा हुआ है।अहमदाबाद गुजराज की राजधानी है और गुजरात की दूरी लगभग 330 किलोमीटर अहमदाबाद से है। अगर आप सड़क से यहां जा रहे हैं तो 6 घंटे में आप पहुंच जाएंगे। यहां पर दिल्ली से ट्रेन में जाने का सफर 500 रूपए में किया जा सकता है। 
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