Union Budget 2025: भारत का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा विकसित करेंगे
केंद्रीय बजट 2025 में परमाणु ऊर्जा के लिए बड़े प्रावधान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में कई बड़ी योजना, स्लैब टैक्स में बदलाव और कई उपकरण की कीमत कम की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025 पेश करने के दौरान एक परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की है। इस मिशन का लक्ष्य 2047 वर्ष तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा विकसित करना है जिससे जो विकसित भारत पहल के तहत एक विकसित राष्ट्र बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
#UnionBudget2025 दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “अनुसंधान एवं विकास के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन के एक भाग के रूप में, कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित छोटे मॉड्यूलर (परमाणु) रिएक्टर 2033 तक चालू हो जाएंगे…” pic.twitter.com/VCLr7BTvXu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 1, 2025
2047 तक पूरा होगा लक्ष्य
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का विकास हमारे ऊर्जा संक्रमण प्रयासों के लिए आवश्यक है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को सक्षम करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति अधिनियम के लिए नागरिक दायित्व सहित प्रमुख कानूनों में संशोधन करने की योजना बना रही है। बता दें कि भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन सरकारी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित है। निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देकर, सरकार परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में तेजी लाने और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में लगातार वृद्धि सुनिश्चित करने की उम्मीद करती है।
2033 तक 5 स्वदेशी SMR शुरू करने की उम्मीद
इस पहल के हिस्से के रूप में, वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों SMR पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने SMR में अनुसंधान और विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की, जिसे सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करते हुए भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक आशाजनक तकनीक माना जाता है। 2033 वर्ष तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित SMR शुरू होने की उम्मीद है। इस कदम से भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को मजबूत करने और जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है।