दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की फीस से पेरेंट्स को बड़ी राहत, सरकार ने उठाया ये कदम
दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की फीस से पेरेंट्स को बड़ी राहत
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस अध्यादेश के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब उपराज्यपाल को भेजा जाएगा. उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद यह राष्ट्रपति के पास अंतिम मंजूरी के लिए जाएगा
Delhi News: दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने मंगलवार को ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस-2025’ नामक अध्यादेश को मंजूरी दी है. यह फैसला रेखा गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित कैबिनेट की आठवीं बैठक में लिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस अध्यादेश के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब उपराज्यपाल को भेजा जाएगा. उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद यह राष्ट्रपति के पास अंतिम मंजूरी के लिए जाएगा. सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा और 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा.
अभिभावकों को मिलेगी राहत
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह नया अध्यादेश दिल्ली के लाखों अभिभावकों और छात्रों के हितों की रक्षा करेगा. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निजी स्कूल अपनी मर्जी से फीस न बढ़ा सकें. अब स्कूलों को किसी भी तरह की फीस वृद्धि से पहले तय नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होगा.
फीस वृद्धि पर पारदर्शिता अनिवार्य
इस अध्यादेश के तहत निजी स्कूलों को फीस निर्धारण में पारदर्शिता बरतनी होगी. अब अभिभावकों को अचानक और मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने की नोटिस नहीं भेजी जा सकेगी. इससे न सिर्फ आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि स्कूलों द्वारा किए जा रहे शोषण पर भी रोक लगेगी.
DPS द्वारका बना विवाद का कारण
बता दें कि हाल के दिनों में डीपीएस द्वारका का मामला सुर्खियों में रहा था, जिसमें स्कूल प्रशासन पर कई सालों से बिना मंजूरी फीस बढ़ाने के आरोप लगे थे. अभिभावकों ने विरोध जताते हुए आरोप लगाया था कि स्कूल ने बाउंसरों के ज़रिए बच्चों को प्रवेश से रोकने की कोशिश की. इस विवाद ने दिल्ली सरकार को सक्रिय किया और शिक्षा मंत्री ने उस समय ही अध्यादेश लाने की घोषणा कर दी थी. यह मामला अदालत तक भी पहुंच चुका है.
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भविष्य की दिशा
यह नया अध्यादेश दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है. इससे निजी स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण होगा और शिक्षा को अधिक सुलभ और न्यायसंगत बनाया जा सकेगा. यह कदम उन सभी अभिभावकों के लिए उम्मीद की किरण है, जो वर्षों से स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे. अब देखना यह होगा कि यह अध्यादेश लागू होने के बाद ज़मीन पर इसका असर कितना व्यापक होता है.