Mau में फर्जी दस्तावेजों का बड़ा कांड, 86 लोगों पर केस दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के Mau जिले में समाज कल्याण विभाग के तहत संचालित सहायता प्राप्त स्कूलों में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि 42 शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किए गए थे। इस मामले में कुल 86 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
किन लोगों पर दर्ज हुआ केस?
एफआईआर में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें शामिल हैं:
- Mau जिले के तीन पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी
- तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी
- चार खंड शिक्षा अधिकारी
- विभाग के पर्यवेक्षक और पटल सहायक
- 42 फर्जी नियुक्त शिक्षक
- सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों के 19 प्रबंधक
ये सभी लोग सरकारी नौकरी में धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से वेतन लेने के आरोपों में शामिल पाए गए हैं।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
समाज कल्याण अधिकारी रश्मि मिश्रा द्वारा 5 अगस्त को कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद यह मामला सामने आया। इससे पहले, 25 जून को एक जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसके आधार पर अपर मुख्य सचिव (समाज कल्याण विभाग) के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई। कोतवाली थाना प्रभारी (एसएचओ) अनिल कुमार सिंह के अनुसार, पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और अन्य संबंधित लोगों की भी भूमिका खंगाली जा रही है।
क्या था नियुक्तियों का तरीका?
समाज कल्याण अधिकारी रश्मि मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2014 के बाद मऊ जिले में समाज कल्याण विभाग की फंडिंग से चल रहे और निजी प्रबंधन द्वारा संचालित स्कूलों में कुल 70 शिक्षकों की भर्ती की गई थी। जांच में सामने आया कि इन 70 में से 42 शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी में लिए गए थे। इनकी नियुक्ति और वेतन जारी कराने के लिए नकली अनुमोदन पत्रों का सहारा लिया गया। इससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ।
किया गया वेतन रोक, बाकी नियुक्तियों की जांच जारी
जिन 42 शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी पाई गई हैं, उनका वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। इसके साथ ही, बाकी 28 शिक्षकों की नियुक्तियों की भी जांच की जा रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और भी कोई अनियमितता तो नहीं हुई।
आगे क्या होगा?
पुलिस और प्रशासन इस मामले में सभी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। यदि जांच में और लोगों की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी नौकरी पाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।