भागलपुर के जलजमाव क्षेत्रों में मखाना की खेती को बढ़ावा देगा बिहार कृषि विश्वविद्यालय
बिहार कृषि विश्वविद्यालय की योजना से स्वरोजगार को बढ़ावा
बिहार के भागलपुर जिले में बेकार पड़े जलजमाव क्षेत्रों को उपयुक्त बनाने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने एक विस्तृत योजना बनाई है। इसके तहत विश्वविद्यालय ऐसे जलजमाव क्षेत्रों की पहचान कर उसमें मखाना की खेती को बढ़ावा देगा।
इसके तहत बड़े पैमाने पर सबौर मखाना-1 बीज के पौधशाला की तैयारी कर ली गई है। बताया गया कि मखाना के उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता के साथ-साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने प्रथम चरण में प्रायोगिक तौर पर वर्ष 2024 में विश्वविद्यालय प्रक्षेत्र पर लगभग आधे एकड़ क्षेत्रफल में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया के मखाना वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार के तकनीकी मार्गदर्शन में मखाना की खेती की गई थी। इसका परिणाम काफी उत्साहवर्धक है।
बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष के अच्छे परिणाम को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. राजेश कुमार इस वर्ष भागलपुर जिले के चयनित प्रगतिशील कृषकों के यहां मखाना की खेती का प्रदर्शन करेंगे। जिसके लिए बड़े पैमाने पर सबौर मखाना-1 बीज के पौधशाला की तैयारी कर ली गई है। चयनित प्रगतिशील कृषकों जैसे कैरिया कहलगांव के विभू दुबे, बाथ सुलतानगंज के भास्कर पाण्डु एवं निरंजन कुमार के लगभग पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि पर मार्च महीने में पौधे की रोपाई की जाएगी।
आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर भागलपुर के जलजमाव क्षेत्र में मखाना की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह कहते हैं, “भागलपुर ही नहीं, बिहार के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी बेकार पड़े जलजमाव क्षेत्रों की उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता के साथ-साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मखाना आधारित तकनीक सबसे उपयुक्त है। इस कार्य के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर देश में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम है।” उन्होंने बताया कि विश्वस्तरीय प्रयोगशाला हमारे यहां कार्यरत है।