तीन चरणों में बिहार विधानसभा चुनाव: दिवाली-छठ को ध्यान में रखकर तय होंगी तारीखें
बिहार चुनाव: त्योहारों को ध्यान में रखकर तारीखें तय
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 तीन चरणों में आयोजित होंगे, जिसमें दिवाली और छठ जैसे त्योहारों का ध्यान रखा जाएगा। चुनाव आयोग की टीम जल्द ही राज्य का दौरा करेगी और चुनावी प्रक्रिया सितंबर के अंत से शुरू होकर अक्टूबर तक चलेगी। नतीजे नवंबर के पहले सप्ताह में घोषित होने की उम्मीद है।
बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, 2025 का चुनाव तीन चरणों में कराए जाने की संभावना है। वोटिंग की तारीख तय करते समय दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। 2020 में भी बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुआ था। चुनाव आयोग की टीम इसी महीने राज्य का दौरा करने वाली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में संभावना है कि सितंबर के अंत तक आचार संहिता लागू हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो चुनावी प्रक्रिया सितंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू हो सकती है, जो अक्टूबर भर चलेगी। नवंबर के पहले सप्ताह में नतीजे आने की उम्मीद है।
2020 में NDA को मिली थी बहुमत, RJD बनी थी सबसे बड़ी पार्टी
2020 के विधानसभा चुनाव में 10 नवंबर को परिणाम घोषित हुए थे। NDA ने 125 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। RJD 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि BJP ने 74 और JDU ने 49 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 70 में से 19 सीटों पर सफलता मिली थी, AIMIM ने 5 और वाम दलों ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
EVM/VVPAT की FLC प्रक्रिया शुरू
बिहार चुनाव को लेकर तकनीकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। भोजपुर जिले में 31 मई 2025 से EVM और VVPAT मशीनों की फर्स्ट लेवल चेकिंग (FLC) शुरू कर दी गई है। इससे संकेत मिल रहा है कि चुनाव आयोग ने तैयारी तेज कर दी है।
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महागठबंधन में अभी स्पष्ट नहीं CM उम्मीदवार
NDA जहां पूरी तरह से नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार है, वहीं महागठबंधन में अभी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर एकमत नहीं बन पाया है। तेजस्वी यादव नेतृत्व की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस इससे बार-बार असहमति जता चुकी है। साथ ही प्रशांत किशोर की पार्टी की एंट्री से नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।