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बिहार बैंक धोखाधड़ी: सीबीआई कोर्ट ने तीन को 3 साल की सजा सुनाई

बिहार बैंक धोखाधड़ी में तीन दोषियों को तीन साल की सजा

08:27 AM Jun 22, 2025 IST | IANS

बिहार बैंक धोखाधड़ी में तीन दोषियों को तीन साल की सजा

बिहार बैंक धोखाधड़ी  सीबीआई कोर्ट ने तीन को 3 साल की सजा सुनाई
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पटना सीबीआई कोर्ट ने 1991 के बैंक धोखाधड़ी मामले में मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के दो पूर्व प्रबंधकों और एक निजी व्यक्ति को तीन साल के सश्रम कारावास और 4 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपियों पर आपराधिक साजिश और गबन का आरोप था।

बिहार के पटना में सीबीआई कोर्ट ने 1991 में दर्ज एक बैंक धोखाधड़ी मामले में तत्कालीन शाखा प्रबंधक समेत तीन को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने बिहार के दरभंगा में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के दो तत्कालीन प्रबंधकों और एक निजी व्यक्ति को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पटना में सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को सजा सुनाई। तीनों की पहचान मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कहुआ शाखा, दरभंगा के तत्कालीन प्रबंधक बरुण कुमार मिश्रा, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बहेरा शाखा, मधुबनी के तत्कालीन शाखा प्रबंधक मोहन जी मिश्रा और एक निजी व्यक्ति दयानंद झा के रूप में हुई है।

बैंक धोखाधड़ी से संबंधित मामले में उन्हें तीन साल की कठोर कारावास (आरआई) और कुल 4 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। सीबीआई ने 14 अगस्त, 1991 को मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (एमकेजीबी) कोहुआ शाखा के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी बरुण कुमार मिश्रा और मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (एमकेजीबी) कोहुआ शाखा के फील्ड ऑफिसर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि 1989-90 के दौरान एमकेजी बैंक के शाखा अधिकारी और फील्ड ऑफिसर ने आपराधिक साजिश रची और एचएसएस खाता संख्या 1114 में डेबिट और क्रेडिट प्रविष्टियों में हेरफेर करके 2,48,642 रुपये का गबन किया। इसे दयानंद झा, पुत्र शारदानंद झा और दरभंगा निवासी के नाम से दिखाया गया।

जांच के बाद, 30 नवंबर, 1994 को सीबीआई ने गबन के विभिन्न मामलों में दो अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए। पहला आरोप पत्र पटना के विशेष न्यायाधीश सीबीआई मामलों की एलडी कोर्ट में बरुण कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा और दयानंद झा के खिलाफ दाखिल किया गया। अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई।

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