बिहार उपचुनाव : दोनों सीटों पर महिलांए तय करेंगी भाजपा का भविष्य, जेडीयू ने अनंत सिंह की पत्नी पर खेला दांव
बिहार उपचुनाव में जीत पाने के लिए भाजपा व महागठबंधन पूरी ताकत के उतर रही हैं, क्योंकि नीतीश कुमार के पाला पलट के बाद यह पहला चुनाव हैं , जिसका परिणाम महागठबंधन का भविष्य तय करेंगी।
02:48 PM Oct 06, 2022 IST | Desk Team
बिहार उपचुनाव में जीत पाने के लिए भाजपा व महागठबंधन पूरी ताकत के साथ उतर रही हैं, क्योंकि नीतीश कुमार के पाला पलट के बाद यह पहला चुनाव हैं , जिसका परिणाम महागठबंधन का भविष्य तय करेंगी। बीजेपी ने दोनों सीटों पर महिला को उम्मीदवार बनाया हैं, बीजेपी अपने दिवंगत विधायक सुभाष प्रसाद सिंह की पत्नी कुसुम देवी को उम्मीदवार बना सकती है, बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह को दस साल की सजा मिलने पर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी, जिसके बाद मोकामा में उपचुनाव किए जा रहे हैं। इस उपचुनाव में बिहार में जातिगत रूप से पूरी सियासी स्थिति बदल गई हैं , क्योंकि नीतीश कुमार व बीजेपी दोनों एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रही हैं।
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मोकामा में सिर्फ अनंत सिंह
जेल में निरूद्ध बाहुबली नेता अनंत सिंह मोकामा सीट से कई बार जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन अबकी बार एक मामले में अदालत ने अनंत सिंह की सदस्यता को रद्द करते हुए दस साल की सजा सुनाई थी, पिछली चुनाव में अनंत सिंह बीजेपी -जेडीयू के गठबंंधन के सयुंक्त उम्मीदवार के तौर पर रिकोर्ड मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। लेकिन इस बार के उपचुनाव में जेडीयू ने उनकी पत्नी पर दांव खेला हैं , ताकि अनंत सिंह के सियासी रूतबे के कायम रखते हुए महागठबंधन को शक्ति दी जा सके। जेडीयू अनंत सिंह की पत्नी नीलम को विधानसभा उपचुनाव का टिकट दे सकती हैं।
गोपालगंज में बीजेपी को टक्कर देना था मुश्किल, अबकी बार बदले समीकरण
बीजेपी यंहा से प्रदेश के चुनावों में कई एकछत्र राज करती रही हैं, पूर्व के कई चुनावों में बीजेपी को इस सीट पर किसी दल से गठबंधन करने पर उसके वोट संख्या में कोई बदलाव नहीं आया हैं, बीजेपी के सुभाष सिंह २००५ से लगातार बीजेपी का परचम लहराते आए हैं। बीजेपी उम्मीदवार इस सीट से पूर्व सीएम राबड़ी देवी के भाई साधु यादव को काफी बुरी तरह चुनावी पटखनी दे चुके हैं।
आपको बता दे की नीतीश कुमार के साथ ही पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी सरकार में शामिल हो गयी थी। लेकिन बीजेपी बिहार में अकेली पड़ गयी हैं , जिस कारण पार्टी में लगातार बैठकों का दौर जारी हैं, बीजेपी किसी भी कीमत पर बिहार में उपचुनाव को जीतना चाहती हैैंं । ताकि पार्टी में जान को फूंका जा सके ।
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