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Bihar में शिक्षा विभाग, नियोजित शिक्षक फिर आए आमने-सामने

02:55 PM Feb 07, 2024 IST | Prakash Sha

Bihar में सरकार बदल गई। एक लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली के बावजूद नियोजित शिक्षकों के सामने मौजूद मुद्दे अनसुलझे रहे। एक बार फिर, नियोजित शिक्षक सरकार के सामने अपनी मांगों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

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Highlights:

नियोजित शिक्षक पहले राज्यकर्मी के दर्जा की मांग को लेकर अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। जब बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 की स्वीकृति मिली तो इन शिक्षकों को राज्यकर्मियों का दर्जा देने का प्रावधान तो किया गया, लेकिन, उसके पहले एक परीक्षा पास करने की शर्त लगा दी गई। विभाग द्वारा इसे सक्षमता परीक्षा बताया गया। नियोजित शिक्षकों का कहना है कि वे करीब 20 साल स्कूलों में सेवा दे चुके हैं, इतने दिन सेवा देने के बाद भी उनकी परीक्षा ली जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि पहले एक निम्न परीक्षा की बात की बात की गई थी और अब ऑनलाइन परीक्षा ली जा रही है। इस बीच, शिक्षा विभाग ने एक आदेश निकाल दिया कि सक्षमता परीक्षा में तीन बार असफल रहने वाले शिक्षकों को सेवा से हटा दिया जाएगा। यह आदेश इन शिक्षकों के लिए 'नीम पर करैला' साबित हुआ।

अब ये शिक्षक सक्षमता परीक्षा के वहिष्कार को लेकर आंदोलन की राह पर हैं। बिहार के कई जिलों में इस परीक्षा के विरोध में शिक्षक सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। इस बीच, नियोजित शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल ने उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात की। उप मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर है और वे खुद भी इस संबंध में शिक्षा मंत्री से बात करेंगे।

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने साफ कहा कि विभाग ने हड़ताल पर जाने वाले शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है, जबकि यह संवैधानिक अधिकार है। नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को बिहार विधानसभा का घेराव करने पटना पहुंचेंगे। नियोजित शिक्षकों की संख्या 3.50 लाख से ज्यादा है। इनकी प्रमुख मांगों में सक्षमता परीक्षा नहीं हो, अगर हो तो ऑफ लाइन हो, परीक्षा में तीन बार असफल नियोजित शिक्षकों को भी अपने पद पर बने रहने दिया जाए तथा ऐच्छिक स्थानांतरण की व्यवस्था शामिल है।

 

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