टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

कुशवाहा ने नीतीश पर साधा निशाना , कहा - बिहार सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट के प्रावधानों को बदल कर छात्रों से किया भद्दा मजाक

उपेंद्रकुशवाहा ने आज आरोप लगाते हुये कहा कि बिहार की मौजूदा सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के प्रावधानों में बदलाव कर राज्य के विद्यार्थियों के साथ भद्दा और क्रूर मजाक किया है। ‘

05:18 PM Jul 14, 2019 IST | Shera Rajput

उपेंद्रकुशवाहा ने आज आरोप लगाते हुये कहा कि बिहार की मौजूदा सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के प्रावधानों में बदलाव कर राज्य के विद्यार्थियों के साथ भद्दा और क्रूर मजाक किया है। ‘

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्रकुशवाहा ने आज आरोप लगाते हुये कहा कि बिहार की मौजूदा सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के प्रावधानों में बदलाव कर राज्य के विद्यार्थियों के साथ भद्दा और क्रूर मजाक किया है। ‘
Advertisement
श्री कुशवाहा ने यहां पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार सरकार ने इस योजना के प्रावधानों में बदलाव कर राज्य के विद्यार्थियों के साथ भद्दा और क्रूर मजाक किया है। उन्होंने सरकार द्वारा 05 जुलाई 2019 को अधिसूचना जारी कर इस योजना के किये गये बदलाव पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसा अभी क्यों किया गया। छात्रों का दाखिला जून या जून से पहले ही हो जाता है और बिहार के हजारों छात्रों ने इस योजना को ध्यान में रखते हुए कर्ज लेकर विभिन्न संस्थानों में दाखिला लिया था। 
रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य से बाहर पढ़ने वाले विद्यार्थियों को चार लाख रुपये देने की बात कही गई थी। छात्रों ने इसे ध्यान में रखते हुए राज्य से बाहर दाखिला ले लिया था लेकिन अब सरकार ने शर्तों में बदलाव किया है।
 उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने गड़बड़ी की, सरकार उन्हें पकड़ लेकिन अब जो अलग से शर्त लगाई जा रही है वह ठीक नहीं है। 
उन्होंने कहा कि जो भी शर्त लगानी थी दाखिले से पहले लगानी थी। अब सरकार शर्त लगा रही है जब छात्रों ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से कर्ज ले लिया और विभिन्न संस्थानों में दाखिला ले लिया। बच्चों के भविष्य को लेकर यह क्रूर मजाक है क्योंकि सरकार ने बहुत देर से फैसला लिया।
 श्री कुशवाहा ने कहा कि दरअसल सरकार की मंशा बस इतनी है कि, जिस तरह से उन्होंने प्रचार किया था और कर्ज लेने वाले बच्चों की तादाद बहुत हो गई है और सरकार की झोली खाली है। बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा और बैंकों ने मना कर दिया तो सरकार अब इस तरह की शर्त लगा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस बार अपनी शर्तों को वापस ले, जिन बच्चों ने दाखिला ले लिया है उनके भुगतान का कोई रास्ता निकाले। ऐसे छात्रों को कर्ज की सुविधा मिलनी चाहिए क्योंकि वे गरीब घर के बच्चे हैं, उनके भविष्य का सवाल है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि इस बार पुराने प्रावधानों के तहत ही बच्चों का भुगतान किया जाए और अगले सत्र से नई शर्तों को लागू की जाए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। बिहार में तकनीकी शिक्षा का हाल भी बेहाल है। पॉलिटेक्निक संस्थानों के नाम पर भी अलग तरह का खेल हो रहा है और तकनीकी शिक्षा को भी राज्य सरकार ने मजाक बना कर रख दिया है। 
उन्होंने कहा कि पॉलिटेक्निक संस्थान खोलने के नाम पर सरकार आंकड़ गिनवा कर अपनी पीठ थपथपा तो लेती है लेकिन उन संस्थानों में शिक्षा का स्तर क्या है, इस पर सरकार का ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि कई कैंपस में तो एक साथ कई-कई संस्थान चल रहे हैं लेकिन इस पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं है। 
श्री कुशवाहा ने आरोप लगया कि सरकार की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि इन संस्थानों में शिक्षकों की कमी तो है ही, प्राचार्य भी कई संस्थानों में नहीं हैं और सरकार ने एक ही प्राचार्य को दो जगहों का प्रभार दे रखा है, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठता है। 
उन्होंने सरकार की अधिसूचना का जिक्र करते हुए बताया कि सरकार ने छपरा के संस्थान के प्राचार्य को औरंगबाद के संस्थान का भी प्रभार दे रखा है। इसी तरह गुलजारबाग के प्राचार्य को भोजपुर का, पटना के प्रचार्य को जहानाबाद का और नवादा के प्राचार्य को अरवल का प्रभार दे दिया गया है। इससे समझा जा सकता है कि सरकार बिहार में तकनीकी शिक्षा को लेकर कितनी गंभीर है। 
रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी संस्थान या महाविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था की देखरेख प्राचार्य के जिम्मे होती है लेकिन इन संस्थानों में प्रभारी बना कर महज खानापूर्ति की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि छपरा के प्राचार्य औरंगाबाद में किस तरह से एक ही दिन मौजूद रहेंगे। इससे समझा जा सकता है कि सरकार शिक्षा को लेकर कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि रालोसपा वर्ष 2017 से बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सवाल पर आंदोलनरत है।
Advertisement
Next Article