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बिहार लोकतंत्र की जननी रही है : ओम बिरला

बिहार लोकतंत्र की जननी रही है। इसे अक्षुण बचाए रखने के लिए सदन में विमर्श एवं संवाद जरूरी है। सदन में किसी बात को ले सहमति और असहमति बन सकती हैं

07:16 PM Feb 17, 2022 IST | Desk Team

बिहार लोकतंत्र की जननी रही है। इसे अक्षुण बचाए रखने के लिए सदन में विमर्श एवं संवाद जरूरी है। सदन में किसी बात को ले सहमति और असहमति बन सकती हैं

पटना,(पंजाब केसरी): बिहार लोकतंत्र की जननी रही है। इसे अक्षुण बचाए रखने के लिए सदन में विमर्श एवं संवाद जरूरी है। सदन में किसी बात को ले सहमति और असहमति बन सकती हैं कटु से कटु शब्दों का प्रयोग होने की स्थिति में विकराल रूप ना ले सकती है। लेकिन सभी माननीय सदस्यों को ध्यान देने की आवश्यकता है। लोकतंत्र में संविधान को सशक्त बनाए रखने हेतु नियम और प्रक्रिया से चलती है। यह बातें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के अवसर पर लोकतंत्र की यात्रा में विधायकों के महत्वपूर्ण भूमिका तथा उन्मुखी एक दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सदन में ‌सत्तापक्ष एवं प्रतिपक्ष के रवैया से सदन की गरिमा तार-तार हो रही है। इससे जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है। इससे बचने की जरूरत है। । उन्होंने कहा कि नए विधायक पहली बार सदन के सदस्य बनते हैं तो उन्हें अपने वरिष्ठ सदस्यों से सीख लेते हुए अनुकरण करना चाहिए कि सदन में कब किस- किस सवाल को कैसे गंभीरता से उठा रहे है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
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 केंद्र व राज्य सरकार बजट पर किस तरह से विमर्श और चर्चा करती है जिससे आसन उनकी बातों को नजरअंदाज ना कर सके । जनता हमें चुनाव जीताकर क्षेत्र की नहीं राष्ट्रीय स्तर पर समस्याओं को उठाने के लिए भेजती है न कि सदन बाधित करने के लिए । केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं सिफारिशें को सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है । देश आज आजादी के 75 वां वर्ष में अमृत महोत्सव मना रही हैं। ऐसी स्थिति में सूचना प्रावै‌धिगिकी के माध्यम से सूचनाएं संग्रह करने की प्रचलन हो गया है। इससे निपटने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारो ने सूचना केन्द्र खोल रही है। इससे किसी व्यक्ति ‌कही से घर बैठे लोकसभा व राज्यसभा और विधान मंडल की कार्रवाई के देख सकते हैं । इसके लिए केंद्र सरकार राज्य के सहयोग से एक मंच पर आ रहा है।आज गांव के आम आदमी लोकतंत्र के प्रति जागरूक हैं। वहां भी अपनी- अपनी सरकार एवं विपक्ष के प्रति निष्ठावान बनकर विमर्श एवं चर्चा करते रहते हैं। इससे लोकतंत्र की समृद्धिशाली परंपरा मजबूत हो रही है।
 इसलिए सभी सदस्य सदन में प्रश्न काल एवं डिबेट में शामिल होकर शालिनता का परिचय दे। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा की लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। उनकी सकारात्मक आशावादी सोच से राजनीतिक भागीदारी देते हुए विश्वास जताती हैं । उन्हीं को राजनीतिक हाशिए पर खड़ा कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में सभी राजनीतिक पार्टियां की जिम्मेदारी बनती है कि उनके लोक कल्याणकारी कार्यों के प्रति खरा उतरते हुए इमानदारी पूर्वक निर्वहन करने तथा जनता की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं पर खड़े उतरते हुए उनकी समस्याओं को सदन में ईमानदारी पूर्वक उठाये, और सरकार को चाह‌िए की सदस्यों द्वारा उठाए गए प्रश्नों को ध्यान में रखकर भेदभाव के बगैर कार्य करें । उन्होंने कहा कि जनता ने जिस अपेक्षा के साथ सदन में चुनकर भेजता है। सरकार द्वारा कानून बनाते समय सभी सदस्यों को विर्मश एवं चर्चा कर उनकी बातों को गंभीरता से लेकर कानून बनाएं।
 ‌इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उदबोधन कार्यक्रम में शामिल होने पर सभी लोगो को स्वागत करते हुए कहा कि सदन में सत्तापक्ष एवं विपक्ष द्वारा उठाये गये सवालों को गंभीरता पूर्वक लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसलिए सभी सदस्य सदन में ऐसी कोई कार्य कर दे जिससे पूरे राज्य की गरिमा पर प्रश्न चिन्ह्र खड़ा हो जाये। इस पर सभी सदस्यों को गंभीरता से विचार करनी होगी। उपस्थित लोगों में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश , विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी,उपमुख्यमंत्री रेणु देवी,तारकिशोर प्रसाद,संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी,लोकसभा के सचिव उज्जवल सिंह सहित भारी संख्या में मंत्री विधायक एवं ‌विधान परिषद के सदस्य उपस्थित थे।
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