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बिहार बाढ़ और सुखाड़ झेल रहा है फिर भी ठीके तो है नीतीशे कुमार क्यों करें विचार

एक तरफ बिहार बाढ़ की त्रासदी झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर सुखाड़ की मार भी झेल रहा है।

01:56 PM Sep 03, 2019 IST | Desk Team

एक तरफ बिहार बाढ़ की त्रासदी झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर सुखाड़ की मार भी झेल रहा है।

पटना : बिहार में अगले साल 2020 में विधानसभा चुनाव होना है। इसके पहले बिहार में लगभग 5-6ं सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव भी है बिहार के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में नीतीश कुमार का फोटो सहित बैनर सभी जगहों पर लग गया है। बैनर में स्लोगन है- बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है यह नारा 2015 में गूंजा था इस बार का नारा ठीके तो है नीतीशे कुमार क्यों करें विचार। 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार के साथ भारतीय जनता पार्टी नहीं राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद थे। उस समय नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव एवं कांग्रेस को मिलाकर बिहार में अच्छा परिणाम आया था। राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। कांग्रेस भी लगभग 28 सीट जीतकर आया था। अब 2020 में नया समीकरण में बदलाव हो रहा है।
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जानकारी रहे कि 2019 के लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने लड़ा। जदयू पार्टी के सभी प्रत्याशी जीत गये। मगर किसी सांसद को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। फिर भी नीतीश कुमार कुछ नहीं कहे। उन्होंने केवल यही कहा कि बिहार में विकास होना चाहिए। मंत्रिमंडल से क्या होने वाला है? नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज सब कुछ भूलाकर भाजपा के साथ दोस्ताना संबंध बनाकर आगे चलने का संकल्प लिया। लालू प्रसाद के साथ भी नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा, लेकिन उन्होंने लालू प्रसाद को भी पटखनी देकर भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बना लिया। अब 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ रहेंगे या अकेले चुनाव लड़ेगे अभी साफ नहीं हुई है। 2020 में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ा जायेगा। 
ग्रामीण क्षेत्रों में सात निश्चय योजना टांय-टांय फीस दिखाई दे रहा है। शराब बंदी तो जरूर हुई है लेकिन पैसे वाले शराब कल भी पीते थे और आज भी पी रहे हैं। मुख्यमंत्री का नल- जल योजना कामयाब नहीं हो सका। एक तरफ बिहार बाढ़ की त्रासदी झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर सुखाड़ की मार भी झेल रहा है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में मुख्यमंत्री के प्रति उत्साह नहीं दिख रहा है। बिहार का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा एवं दीपावली नजदीक है। गरीबों ने जितने धान बोये वह या तो सुखा की भेंट चढ़ गया या तो बाढ़ की पानी में बह गया। 
बिहार में बेरोजगारी चरम सीमा पर है। यहां के  नौजवान बाहर कमाने हेतु जा रहे थे लेकिन बाहर में भी कल कारखाना बंद होने के बाद वे लोग वापस लौट रहे हैं। 2020 के पहले क्या करें विचार ठीके तो है नीतीशे कुमार स्लोगन से कितना बिहार की जनता उन्हें किस नजरिया से देख रही है वह तो समय ही बतायेगा। मगर मिला-जुलाकर बिहार की स्थिति ज्यों का त्यों बना हुआ है। सिंचाई योजना का सही लाभ नहीं मिलने से सिंचाई योजना अधर में लटका है। इससे किसान त्रस्त हैं और सरकारी अधिकार मस्त हैं। 
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