IndiaWorldDelhi NCRUttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir BiharOther States
Sports | Other GamesCricket
HoroscopeBollywood KesariSocialWorld CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

बिहार: RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा, 1995 में किया था डबल मर्डर

03:20 PM Sep 01, 2023 IST
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में बिहार के सारण जिले में विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन दो लोगों की हत्या करने के मामले में राज्य के पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बिहार के महाराजगंज से कई बार सांसद रहे सिंह और बिहार राज्य को मारे गए दोनों लोगों के परिवारों को अलग अलग 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा तथा मामले में घायल व्यक्ति को पांच लाख रुपये देने होंगे।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा मामला इससे पहले कभी नहीं देखा था।’’ शीर्ष अदालत ने 18 अगस्त को सिंह को हत्या के मामले में बरी करने के निचली अदालत और पटना हाई कोर्ट के फैसलों को पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया था। मामले में दोषी को दी जाने वाली सजा की दलीलों पर सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया गया था। पीठ ने शुरू में कहा था, ‘‘सिर्फ दो विकल्प हैं उम्रकैद या मृत्युदंड, तीसरा विकल्प नहीं है…, यही दो विकल्प हैं।’’
सिंह की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें अदालत को मृत्युदंड पर विचार करना चाहिए।पीठ ने पूछा, ‘‘क्या आप गंभीरता से मानते हैं कि हम मृत्युदंड पर विचार कर रहे हैं?’’ वकील ने कहा कि इस मामले में निचली अदालतों के बरी किए जाने के निर्णय को शीर्ष अदालत ने पलट दिया है और उन्होंने सिंह को दोषी ठहराने के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका भी दायर की है। पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिका पर विचार किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चाहती है कि मुआवजा दिया जाए और राज्य को भी पीड़ितों को मुआवजा देना होगा। पीठ ने कहा, ‘‘मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। प्रतिवादी संख्या दो (सिंह) और राज्य सरकार को, मृतकों के परिजनों को अलग अलग 10-10 लाख रुपये और घायल को पांच लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हमने फैसला सुना दिया है और इसकी विस्तृत जानकारी आपको मिल जाएगी।’’ सिंह की उम्र के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा पूछे जाने पर एक वकील ने बताया कि वह 70 वर्ष के हैं।
मामले में सिंह को दोषी करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एक ऐसे मामले से निपट रहा है जो ‘‘हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का बेहद दर्दनाक प्रकरण’’ है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि सिंह ने अपने खिलाफ सबूतों को ‘‘मिटाने’’ के लिए किये गये हरसंभव प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पीठ ने कहा कि अपनी ताकत के दम पर उन्होंने अभियोजन तंत्र के साथ निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को भी एक औजार की तरह इस्तेमाल किया।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस आपराधिक मुकदमे में तीन मुख्य पक्षकार – जांच अधिकारी, लोक अभियोजक और न्यायपालिका – अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में ‘‘पूरी तरह से नाकाम’’ रहे हैं। पीठ ने पूर्व विधायक सिंह को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या और एक महिला की हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया था। पीठ ने कहा था कि 25 मार्च 1995 को राजेंद्र राय के बयान के आधार पर छपरा में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिन्होंने कहा था कि वह आठ-नौ अन्य ग्रामीणों के साथ वोट देकर लौट रहे थे, तभी एक कार उनके पास आकर रुकी।
आरोप है कि उस वक्त बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ रहे सिंह उस कार में मौजूद थे और वह यह जानना चाहते थे कि उन लोगों ने किसे वोट दिया था। प्राथमिकी के अनुसार, जब राय ने कहा कि उन्होंने किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी के नेता के पक्ष में वोट दिया है तो सिंह ने अपनी राइफल से गोली चलाई, जिससे तीन लोग घायल हो गए। घटना में घायल तीन लोगों में से राजेंद्र राय समेत दो की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई, इसलिए मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्या का अपराध भी जोड़ा गया।
शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के दिसंबर 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर 18 अगस्त को अपना फैसला सुनाया था, जिसने एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया था और मामले में आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की थी। शीर्ष अदालत ने मामले में अन्य आरोपियों को बरी करने के फैसले को नहीं बदला और कहा कि इन आरोपियों के नाम न तो राजेंद्र राय के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान में और न ही अदालत में गवाह रहीं उनकी मां के बयान में शामिल थे। बिहार की राजधानी पटना के उच्च-सुरक्षा वाले क्षेत्र में 1995 में जनता दल के विधायक अशोक सिंह के आवास पर उनकी हत्या करने के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद प्रभुनाथ सिंह वर्तमान में हजारीबाग जेल में बंद हैं।
Advertisement
Next Article