Bihar: जातीय गणना के आंकड़े को उपेंद्र कुशवाहा ने बताया फर्जी, जानिए क्या कहा?
इस समय बिहार में जातीय गणना का मुद्दा काफी चर्चा में बना हुआ है। इस दौरान 14 अक्टूबर को पटना में राष्ट्रीय लोक जनता दल ने जातीय गणना के खिलाफ मार्च निकाला। बता दें उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में ये मार्च डाक बंगला चौराहे तक पहुंचा तो पुलिस ने इन्हें सख्ती से रोक दिया. कुशवाहा के नेतृत्व में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपना था।
जातीय गणना की रिपोर्ट को उपेंद्र कुशवाहा ने बताया फर्जी
आपको बता दें आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "सरकार के इशारे पर हमें रोका गया। हमारे आंदोलन को दबाने की कोशिश हो रही है। हमारी आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है, लेकिन ये आवाज दबेगी नहीं निरंतर चलती रहेगी." बता दें कि जातीय गणना की रिपोर्ट को उपेंद्र कुशवाहा फर्जी बता रहे।
इसके साथ उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "जातीय गणना पर बिहार सरकार का दावा खोखला है। कई लोगों के घर सर्वे टीम नहीं पहुंची। आंकड़े फर्जी हैं। जातीय आंकड़े में हेराफेरी की गई है। सियासी लाभ के लिए कई जातियों के आंकड़ों को बढ़ाकर बिहार सरकार ने दिखाया है।घर-घर जाकर पारदर्शी तरीके से जातीय सर्वे कराया जाए। इसके बाद आंकड़े को रिलीज किया जाए।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पटना के गांधी मैदान से मार्च शुरू हुआ। आरएलजेडी के कार्यकर्ता बैनर, पोस्टर और झंडा लेकर उपेंद्र कुशवाहा के साथ मार्च कर रहे थे। पुलिस की ओर से बैरिकेडिंग कर डाक बंगला चौराहे पर रोकने की कोशिश की गई तो उपेंद्र कुशवाहा वहीं कार्यकर्ताओं के साथ धरना पर बैठ गए. कुछ देर बाद कार्यकर्ता बैरिकेडिंग हटाकर आगे बढ़ गए। उपेंद्र कुशवाहा भी कार्यकर्ताओं के साथ राज भवन की ओर आगे बढ़े।