Bihar SIR: चुनाव आयोग का ऐलान, देशभर में होगा वोटर वेरिफिकेशन, जानें क्यों जरूरी है यह फैसला
Bihar SIR: बिहार में इस वर्ष के अंत तक चुनाव होने वाले है। चुनाव को लेकर सियासत गर्मा रही है वहीं विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बीच भारत निर्वाचन आयोग ने वोटर वेरिफिकेशन को लेकर आदेश जारी किया है। चुनाव आयोग के अनुसार बिहार के बाद देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया जाएगा। बता दें कि निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर 24 जून का आदेश जारी किया था और आज इसके बारे में जानकारी दी गई है।
ECI ने क्या कहा?
ECI ने 24 जून को जारी किए गए आदेश में कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू करने का फैसला लिया है। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (RPA 1950) के तहत लिया गया है, जिसमें संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों और मतदाता सूची की तैयारी की देखरेख की जिम्मेदारी आयोग को दी गई है। क्योंकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची की सटीकता जरूरी है।
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "ये SIR पहले 2023 में भी हुआ है और जब ये हारते हैं तो सब पर ये संदेह करते हैं-EVM, चुनाव आयोग पर संदेह करते हैं...मैं पूछना चाहता हूं ये 2023 में सही था क्या? ....ये राहुल गांधी जैसे नेता, 2023 में कर्नाटक में आप जीते लेकिन… pic.twitter.com/6XQOSna70C
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 25, 2025
बिहार में कब हुआ था पुनरीक्षण?
बिहार में वर्ष 2025 के अंत तक चुनाव होने की संभावना है। बता दें कि बिहार में आखिरी बड़ा पुनरीक्षण 2003 में 1 जनवरी 2003 को आधार तारीख के साथ हुआ था। इस पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और किसी को भी इस सूची से बाहर न रखा जाए। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, 18 साल और इससे अधिक उम्र के भारतीय नागरिक मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के हकदार हैं।

मतदाता सूची में क्यों जरूरी है बदलाव
बिहार में मतदाता सूची में बदलाव को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। बता दें कि इस कदम को इसलिए जरूरी माना जा रहा है क्योंकि पिछले 20 सालों में मतदाता सूची में बड़े बदलाव, शहरीकरण, शिक्षा, रोजगार और कई कारणों से एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं और नई जगह पर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराते हैं, लेकिन पुरानी जगह से नाम नहीं हटाते। इससे मतदाता सूची में दोहरे नाम की समस्या बढ़ रही है।