टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

बिहार की कानून व्यवस्था अब मरणासन्न अवस्था में : तेजस्वी यादव

राजनीति को पंख देने, उनके इशारे पर नाचने, ब्रजेश ठाकुर जैसे बलात्कारियों, कातिलों और माफियाओं का संरक्षण देने का ही रह गया है।

06:13 PM Aug 22, 2019 IST | Desk Team

राजनीति को पंख देने, उनके इशारे पर नाचने, ब्रजेश ठाकुर जैसे बलात्कारियों, कातिलों और माफियाओं का संरक्षण देने का ही रह गया है।

पटना : बिहार की लचर कानून व्यवस्था अब मरणासन्न अवस्था में पहुंच चुकी है। पुलिस का काम बस सरकारी आकाओं की राजनीति को पंख देने, उनके इशारे पर नाचने, ब्रजेश ठाकुर जैसे बलात्कारियों, कातिलों और माफियाओं का संरक्षण देने का ही रह गया है। बिहार में हत्या, अपहरण, बलात्कार, फिरौती, रंगदारी और हर तरह के काले कारनामे सत्ता संरक्षण में फल-फूल रहे हैं।
Advertisement
 इस भयावह माहौल में आम आदमी सहम सहम कर अपनी जान बचाते गुजर बसर करने को विवश है। छपरा में एक दिन पहले एक दारोगा और हवलदार की सरेआम बीच बाजार में सुनियोजित तरीके से बेखौफ अपराधियों ने घेरकर गोलियों से भून दिया। अपराधियों के पास पुलिस से आधुनिक हथियार है। विगत वर्षों में बिहार पुलिस के अनेकों अधिकारी अपराधियों के हाथों मारे जा चुके है। जब पुलिसकर्मी हलाल के बकरे की भांति बीच बाज़ार मौत के घाट उतार दिए जाएंगे तो आम आदमी की क्या बिसात? क्या पुलिस की इतनी भी दबिश और सरकार का इतना भी इकबाल नहीं बचा? उक्त बातें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कही।
तेजस्वी यादव ने कहा कि कुछ दिन पहले एक रिटायर्ड डीआईजी की उनके परिवार के सामने ही गुंडों ने सरेआम पिटाई कर दी। आज राज्य में हत्या, अपहरण, गैंगरेप, लूट और बलात्कार की घटनाएं इतनी अधिक हो गयी है कि अब अखबारों के लिए यह आम खबर है जिसे अब सनसनीखेज की श्रेणी में नहीं माना जाता है। जेलों से ही अपराधी अपराध जगत को कंट्रोल और मैनेज कर रहे हैं। जेलों में थोक में सिम, मोबाइल, हथियार मिल रहे हैं। 
जंगलराज चिल्लाने वाले बेशर्मी से कुछ बोल नहीं पा रहे है। अब तो राज्य के डीजीपी खुद कह रहे है कि अपराधी कभी भी उन्हें गोली मार सकते है। मुख्यमंत्री जी बता, अगर डीजीपी इतने डरे-सहमे हुए है तो आम आदमी का क्या होगा? डीजीपी के इस व्यक्तव्य के बाद क्या सरकार को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार रह गया है? ऐसे अपराधग्रस्त माहौल में व्यवसायी वर्ग पूंजी निवेश करने से कतराने लगा है, व्यापारी बिहार छोड़ रहे है। 
डीजीपी क्राइम पर नकेल कसने के बजाय मीडिया मैनेज करने, व्यक्तिगत ब्रांडिंग करने और पीसी करने में ही व्यस्त रहते हैं। डबल इंजन की सरकार का पूरा ध्यान माफियाओं और अधिकारियों से भ्रष्ट वसूली में ही लगा रहता है तो आम जनता की कौन सुने? अपनी अपनी डफली, अपना अपना राग लेकर जदयु और भाजपा आपसी कलह और खींचतान में आम बिहारी का गला घोंट रहे हैं। इनका एक इंजन अपराध में तो दूसरा भ्रष्टाचार में लगा हुआ है।
Advertisement
Next Article