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Bills of Lading 2025: भारत की समुद्री कानून व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव

02:46 PM Jul 23, 2025 IST | Aishwarya Raj
Bills of Lading 2025: भारत की समुद्री कानून व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव

संसद ने सोमवार को Bills of Lading 2025 पारित कर दिया, जो 169 साल पुराने औपनिवेशिक कानून ‘इंडियन बिल्स ऑफ लाडिंग एक्ट, 1856’ की जगह लेगा। यह नया विधेयक अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप ले लेगा। यह भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

Bills of Lading 2025 से दस्तावेज़ी प्रक्रिया होगी सरल और पारदर्शी

इस विधेयक का उद्देश्य है भारत में समुद्री शिपिंग दस्तावेजों को अधिक पारदर्शी, सरल और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना। इसमें आधुनिक व्यापारिक शब्दावली का प्रयोग किया गया है ताकि शिपर, कैरियर और लीगल होल्डर के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट किया जा सके। इससे कानूनी भ्रम और अनावश्यक मुकदमों की संभावनाएं कम होंगी।

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Bills of Lading 2025: वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति होगी मजबूत

Bills of Lading 2025 भारत को वैश्विक व्यापार के लिहाज से और प्रतिस्पर्धी बनाएगा। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है और व्यापार की प्रक्रिया को अधिक तेज़ और भरोसेमंद बनाएगा। इससे विदेशी निवेशकों और निर्यातकों को भी भारत में व्यापार करने में आसानी होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

Bills of Lading 2025: औपनिवेशिक विरासत को अलविदा कहने की दिशा में एक कदम

बिल को संसद में पेश करते हुए केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि यह कदम "विकसित भारत 2047" की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का प्रतीक है।” भारत के संविधान को अपनाने के 76वें वर्ष में यह बिल उस दिशा में एक निर्णायक पहल है।

Bills of Lading 2025: सरल भाषा और व्यावसायिक दृष्टिकोण से तैयार

इस विधेयक की खास बात यह है कि इसमें जटिल कानूनी भाषा की जगह सहज और स्पष्ट शब्दों का प्रयोग किया गया है। पुराने कानून की जटिलताओं को हटाकर इसे व्यापारिक दृष्टिकोण से अधिक अनुकूल बनाया गया है। साथ ही इसमें एक ‘इनेबलिंग क्लॉज़’ भी शामिल है, जो केंद्र सरकार को इस कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी करने की शक्ति देता है।

Bills of Lading 2025 न केवल भारत की कानूनी व्यवस्था को आधुनिक बनाएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में भी भारत की भूमिका को सशक्त करेगा। यह विधेयक समुद्री क्षेत्र से जुड़े व्यापारियों, निर्यातकों और शिपिंग कंपनियों को स्पष्टता और कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके लागू होने के बाद भारत की समुद्री कानून प्रणाली और अधिक व्यावसायिक, पारदर्शी और प्रभावशाली बन जाएगी।

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि देश का वित्तीय समावेशन सूचकांक (financial inclusion index) मार्च 2025 में बढ़कर 67 हो गया है। वहीं पिछले वर्ष की तुलना में यह 4.3 प्रतिशत की वृद्धि तक बढ़ा है। बता दें कि वर्ष 2025 के मार्च महीने के लिए एफआई-सूचकांक का मूल्य 67 है और मार्च 2024 मे यह 64.2 था, जिसमें सभी उप-सूचकांको, पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एफआई-इंडेक्स आरबीआई द्वारा बनाया गया एक मापक है, जो यह पता लगाने में मदद करता है कि देश भर में लोगों तक वित्तीय सेवाएं कितनी अच्छी तरह पहुंच रही है।

वित्तीय समावेशन का स्तर

Financial inclusion index बैंकिंग, बीमा, निवेश, पेंशन और डाक सेवाओं सहित कई क्षेत्रों के आंकड़ों का उपयोग करके वित्तीय समावेशन के स्तर को दर्शाता है। बता दें कि सूचकांक 0 से 100 तक होता है, जहां शून्य का अर्थ पूर्ण वित्तीय बहिष्करण और 100 का अर्थ पूर्ण वित्तीय समावेशन होता है। RBI के अनुसार, इस वर्ष के सूचकांक में सुधार मुख्य रूप से वित्तीय सेवाओं के उपयोग और गुणवत्ता में बेहतर प्रदर्शन के कारण हुआ। जिससे पता चलता है कि अधिक लोग वित्तीय उत्पादो का उपयोग कर रहे है, साथ ही वे बेहतर सेवा गुणवत्ता का भी लाभ उठा रहे है।

एक बार प्रकाशित होता है सूचकांक... आगे पढ़ें

 

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