फिर बर्ड फ्लू की दस्तक
कोरोना वायरस से बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए हर स्तर पर उपाय किए जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में स्कूल, कालेज और सिनेमा हाल तक बंद कर दिए गए। महानगर उदास हैं और लोग दहशत में हैं।
05:38 AM Mar 14, 2020 IST | Aditya Chopra
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कोरोना वायरस से बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए हर स्तर पर उपाय किए जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में स्कूल, कालेज और सिनेमा हाल तक बंद कर दिए गए। महानगर उदास हैं और लोग दहशत में हैं। इसी बीच भारत में बर्ड फ्लू ने फिर दस्तक दे दी है। केरल के कोझीकोड जिला के कुछ क्षेत्रों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। कुछ दिन पहले अलग-अलग खेतों में सैकड़ों पक्षी मृत पाए गए थे। परीक्षण के लिए भेजे गए नमूनों से पता चला कि बर्ड फ्लू आ चुका है। केरल के स्वास्थ्य विभाग और जिला स्तरीय प्रशासन ने घर-घर जाकर मुर्गियों और अन्य पक्षियों को मारना शुरू कर दिया है ताकि बर्ड फ्लू अन्य क्षेत्रों में नहीं फैले। कहते हैं जब मुसीबत आती है तो वह अकेले नहीं आती बल्कि अपने साथ और भी मुश्किलें लेकर आती है।
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प्रकृति अपना खेल खेलती है और मानव अपना। जनवरी में ओडि़शा के भुवनेश्वर में बर्ड फ्लू की वजह से हड़कम्प मच गया था लेकिन रैपिड रिस्पांस टीम ने हजारों मुर्गे-मुर्गी और चूूजों को जमीन में दफन कर दिया था। फरवरी माह में धर्मनगरी वाराणसी में बर्ड फ्लू के चलते पोल्ट्री फार्मों की जांच की गई थी। जांच के लिए सैम्पल में कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी।वर्ष 2017 में यह बीमारी गुजरात, ओडि़शा, दमन दीव, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में फैली थी। उसके बाद 2018 के दिसम्बर में ओडिशा के 9 स्थानों पर तथा बिहार के तीन स्थानों पर फैैली थी।
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देश में पहली बार एवियन इनफ्लूएंजा 2006 में फरवरी से अप्रैल के बीच महाराष्ट्र में 28 स्थानों पर तथा गुजरात में एक जगह फैला था। इस दौरान करीब दस लाख पक्षियों को मारा गया था और 2.7 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था। 2008 में जनवरी से मई तक एवियन इनफ्लूएंजा का अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप पश्चिम बंगाल में हुआ था। इस दौरान बीमारी से बचने के लिए 42 लाख 62 हजार पक्षियों को मारा गया था। असम में 2008 के नवम्बर-दिसम्बर में यह बीमारी 18 जगह फैली थी। अब तक 49 बार यह बीमारी अलग-अलग राज्यों में 225 जगह फैली।
देश में पहली बार 2017 में दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा में प्रवासी पक्षियों एवं मुर्गियों में एक नए वायरस एच5एन8 की पुष्टि हुई थी। देश में बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए निगरानी की कार्ययोजना 2013 में तैयार की गई थी तथा जालंधर, कोलकाता, बेंगलुरु और बरेली में प्री फेब्रिकेटेड बायोसेंट्री स्तर की तीन प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में कड़ी चौकसी बरती गई। सरकार के सतत् प्रयासों से इस पर काबू पाया गया।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने पिछले वर्ष ही भारत को एवियन इनफ्लूएंजा से मुक्त घोषित किया था। दरअसल जब भी किसी बीमारी पर काबू पाने में सफलता प्राप्त कर ली जाती है तो प्रशासन भी निष्क्रिय हो जाता है और लोग भी उदासीन हो जाते हैं। सब कुछ सामान्य लगने लगता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि भारत को इस बीमारी से मुक्त घोषित करने के लिए एक वर्ष के भीतर ही इसका फिर से आना एक आैर बड़े संकट की चेतावनी दे रहा है। एवियन इनफ्लूएंजा का विषाणु मनुष्य को प्रभावित करता है और कई बार गम्भीर रूप से पीडि़त होने पर मौत भी हो जाती है।
पहले खांसी और बुखार इसके लक्षण हैं, फिर इससे पीड़ित की श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है। केन्द्र सरकार इस बात को बार-बार दोहराती रही है कि राज्य बर्ड फ्लू से मुक्त होने की घोषणा से आत्मसंतोष करके चुपचाप नहीं बैठें बल्कि इस पर कड़ी निगरानी रखें। भारत के बर्ड फ्लू से मुक्त होने की घोषणा 2009 में भी की गई थी लेकिन यह बीमारी दफन होकर भी बार-बार सिर उठाती है। बर्ड फ्लू का वायरस चिकन, टर्की, गीस, मोर आैर बत्तख से इंसानों में तेजी से फैलता है। इंसानों में यह वायरस संक्रमित पक्षी के बेहद नजदीक रहने से फैलता है। बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने पर नॉनवेज न खाएं। इस बीमारी का उपचार तो है लेकिन इसमें भी कोरोना वायरस की तरह मरीजों को एकांत में रखना जरूरी है।
हमारी संस्कृति में मांसाहार के सेवन को वर्जित माना गया है। ऋषि-मुनियों की इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों को भगवान का अंश माना है। मांसाहार भोजन के लिए कितने ही बेजुबान जानवरों की बलि चढ़ाई जाती है। खान-पान लोगों की अपनी पसंद है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता लेकिन बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू जैसे रोगों से बचने के लिए लोगों को शाकाहारी होना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि मांस उद्योग बहुत बड़ा है लेकिन इसके खतरे भी कोई कम नहीं। जीवन बहुत अनमोल है, इसकी रक्षा के लिए मानव को उपाय तो करने ही होंगे।

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