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Bhagat Singh Birthday: वो क्रांतिकारी जो हंसते-हंसते चढ़ गया सूली

11:59 PM Sep 27, 2024 IST | Shera Rajput

'स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।' ये शब्द हैं शहीदे आजम भगत सिंह के जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की आंखों में आंखें डाल अपनी बातें कही।
28 सितंबर 1907 को जन्मे शहीदे आजम की शनिवार को 117वीं जयंती
28 सितंबर 1907 को जन्मे शहीदे आजम की शनिवार को 117वीं जयंती है। उनके जैसा आजादी का दीवाना इस देश को दोबारा नहीं मिला। उनकी देशभक्ति की शौर्य गाथा आज भी अगर कोई पढ़ ले तो उसकी आंखें नम हो जाए और सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने दी थी फांसी
छोटी सी उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाला यह वीर जवान उस दिन भारत के इतिहास में अमर हो गया, जब आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी से लटका दिया था। इस बात को करीब 93 साल गुजर गए हैं, लेकिन भगत सिंह आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं।
न सजा का डर, न मरने का गम... बस जुबां पर था 'इंकलाब जिंदाबाद'
सरदार भगत सिंह को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर षड्यंत्र केस में शामिल होने के आरोप में फांसी पर चढ़ाया था। उनके साथ राजगुरु और सुखदेव को भी सजा-ए-मौत दी गई थी। फांसी की सजा सुनाने के बाद भी ब्रिटिश हुकूमत भारत मां के इन शेरों से खौफ खाती रही। न सजा का डर, न मरने का गम... बस जुबां पर था 'इंकलाब जिंदाबाद।'
भगत सिंह और उनके साथियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा
भगत सिंह और उनके साथियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था और इंकलाब-जिंदाबाद का नारा बुलंद किया। अंग्रेजों ने उनकी सांसें तो थाम दी, लेकिन उनके बलिदान के बाद पूरे देश में विद्रोह की आग तेज हो गई।
उनका व्यक्तित्व और शख्सियत कुछ ऐसी थी, जिसने हर किसी को अपना दीवाना बनाया था। उन्हें लिखने और पढ़ने का बहुत शौक था, साथ ही उनके बार में कहा जाता था कि उनकी शायरियों को सुनकर आदमी का इश्क इंकलाब हो जाएगा। उनके शब्दों में वतन से प्रेम समाया हुआ था।
भगत सिंह के साहित्यिक प्रेम की सबसे बड़ी पेशकश उनकी जेल डायरी है। जिसमें उन्होंने कवियों और शायरों को लेकर काफी चर्चा की है।
मैं रहूं या न रहूं पर ये वादा है मेरा तुमसे, कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा
'लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा। मैं रहूं या न रहूं पर ये वादा है मेरा तुमसे, कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा।' इस तरह के उनके अनमोल वचन देश प्रेमियों के दिलों में घर कर गए और उन्हें सदा के लिए अमर कर दिया।
सीने में जुनूं, आंखों में देशभक्ति की चमक रखता हूं, दुश्मन की सांसे थम जाए, आवाज में वो धमक रखता हूं। ऐसी शख्सियत रखने वाले भगत सिंह आज हमारे बीच में नहीं हैं। लेकिन, भारत के इतिहास और देशवासियों के जेहन में वो सदा के लिए अमर हो गए। उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

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