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BITS के इन दो छात्रों ने किया कमाल! बनाया ऐसा ड्रोन, सीधा इंडियन आर्मी से मिला ऑर्डर

03:04 PM Jul 22, 2025 IST | Neha Singh
bits के इन दो छात्रों ने किया कमाल  बनाया ऐसा ड्रोन  सीधा इंडियन आर्मी से मिला ऑर्डर
BITS Student Drones

BITS Student Drones: अगर आपमें जुनून हो, तो कम संसाधनों में भी कमाल कर सकते हैं। बिट्स पिलानी के हैदराबाद कैंपस के छात्रों ने भी अपने जुनून के सहारे कमाल कर दिया है। यहां के दो छात्रों ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है जो रडार की पकड़ में आए बिना बम गिरा सकता है। हॉस्टल के कमरे में ड्रोन बनाने वाले छात्र अजमेर, राजस्थान के 20 वर्षीय जयंत खत्री और कोलकाता के शौर्य चौधरी हैं।

दोनों बिट्स पिलानी के हैदराबाद कैंपस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। जयंत मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं और शौर्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के। यह 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी उड़ सकता है। खास बात यह है कि छात्रों ने यह ड्रोन अपने हॉस्टल के कमरे में ही बनाया है। कई शुरुआती परीक्षणों के बाद, भारतीय सेना को भी यह ड्रोन पसंद आ गया है।

BITS Student Drones: हॉस्टल से ड्रोन स्टार्टअप तक

जयंत खत्री और शौर्य चौधरी ने अपने हॉस्टल के कमरे में ही ड्रोन पर काम करना शुरू कर दिया। जब उन्हें लगा कि उनके बनाए ड्रोन कारगर हैं, तो उन्होंने अपोलियन डायनेमिक्स नाम से एक स्टार्टअप खोला। इसके बाद उन्होंने बेकार पड़े कुछ पुर्जों को जोड़कर एक ड्रोन बनाया। इसमें भारत के मौसम और भू-भाग को ध्यान में रखा गया ताकि सेना इसे आसानी से संचालित कर सके।

BITS Student Drones
BITS Student Drones

BITS Student Drones: लिंक्डइन पर सेना से संपर्क किया

अब ड्रोन बनकर तैयार हो गया है और उसका परीक्षण भी हो चुका है। लेकिन अब सवाल यह था कि इसे सेना को कैसे दिखाया जाए। जयंत बताते हैं कि मैंने लिंक्डइन पर या जहाँ भी सेना से कोई मिला, उसे ईमेल किया और अपनी बात रखी। सौभाग्य से, सेना के एक कर्नल ने जवाब दिया और हमें ड्रोन का डेमो देने के लिए चंडीगढ़ बुलाया गया। इसके बाद, दोनों दोस्तों ने अपने कामिकेज़ ड्रोन से बम गिराकर लाइव डेमो दिया। इसके बाद, ड्रोन का अलग-अलग रेजिमेंटों के सामने, अलग-अलग मौसम और भू-भागों में डेमो किया गया।

BITS Student Drones: सेना से मिला ऑर्डर

आखिरकार, भारतीय सेना को यह बहुत पसंद आया और उन्हें ऑर्डर भी मिल गया। यह ड्रोन लक्ष्य पर 1 किलो से ज़्यादा का पेलोड पूरी सटीकता से गिरा सकता है। रडार से भी इसका पता नहीं चलता। वे बताते हैं कि सेना से ऑर्डर मिलने के बाद, उनकी टीम थोड़ी बड़ी हो गई है। दूसरे वर्ष के 6 और छात्र इसमें शामिल हो गए हैं। उनका अगला लक्ष्य फिक्स्ड विंग और वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग वाले उत्पाद तैयार करना है।

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