लाल किला को गिरवी रखने का फैसला वापस ले
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पटना : राष्ट्रीय जनता दल राष्ट्रीय परिषद के सदस्य भाई अरूण कुमार एवं अत्यंत पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव उपेन्द्र चन्द्रवंशी ने एक संयुक्त प्रेस बयान जारी कर केन्द्र सरकार के मुखियां नरेन्द्र मोदी के द्वारा दिल्ली के लालकिला को डालमिया के हाथों पांच साल के लिए उसका मालिकाना हक देने का जो फैसला किया है वह भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार ही है।
क्योंकि लालकिला से टिकटों की बिक्री से एक साल में कुल 17 करोड़ की कमाई होती है और अन्य स्रोतों से करीब दो करोड़ रुपए की कमाई होती है। कुल मिलाकर प्रतिवर्ष सरकार की कमाई 19 करोड़ रूपये होती और सरकार ने उसे मात्र पांच करोड़ वार्षिक यानी पांच साल में 25 करोड़ रूपये में देने का फैसला कर लिया।
यानी 14 करोड़ रूपये प्रति वर्ष नुकसान हो रहा है। तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को इस ऐतिहासिक स्थल जो कि स्वतंत्रता की निशानी है। इसी स्थल से स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति झंडोतोलन करते हैं तथा परेड की सलामी लेते हैं।
ऐसे स्थलों को निजी हाथों में सौपने का औचित्य क्या है? देश की जनता जानना चाह रही है कि सरकार घाटे का सौदा कर किसी कंपनी को फायदा क्यों पहुंचा रही है? कहीं इस सौदे के पिछे गलत लेन-देन तो नहीं है। नेताओं ने यह भी कहां कि सरकार का निजीकरण का जो फैसला हुआ ना ही इसका निविदा निकाली गयी और ना ही किसी प्रकार का प्रचार-प्रसार किया गया और सीधे-सीधे डाल्मियां ग्रुप के हाथों में सौप दिया।
जससे लगता है कि हमारी देश की आजादी की धरोहर उद्योगपत्तियों के हाथों गिरवी रखवा दी गयी है। इन नेताओं ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि सरकार अविलम्ब इस फैसले को वापस ले।
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