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परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव से भाजपा खुश, कुछ सुझाव भी देगी: रविंदर रैना

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष रविंदर रैना ने अपनी पार्टी के परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव से नाखुश होने की खबरों को रविवार को खारिज किया।

08:04 PM Feb 13, 2022 IST | Desk Team

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष रविंदर रैना ने अपनी पार्टी के परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव से नाखुश होने की खबरों को रविवार को खारिज किया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष रविंदर रैना ने अपनी पार्टी के परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव से नाखुश होने की खबरों को रविवार को खारिज किया। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता द्वारा उठाई गई चिंताओं पर गौर फरमाया गया है और कुछ सुझाव प्रस्तुत किए जा रहे हैं। 
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रैना ने मसौदा प्रस्ताव पर विपक्ष के हंगामे को खारिज करते हुए कहा कि दशकों से हाशिए पर पड़े लोगों को ‘न्याय दिलाने’ के लिए हुए ‘हर अच्छे काम’ पर सवाल उठाना और उसके खिलाफ दुष्प्रचार करना कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों की आदत है। 
सभी राजनीतिक दलों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है 
परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिसे लेकर केंद्र-शासित प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मसौदा रिपोर्ट केंद्र-शासित प्रदेश के पांच सहयोगी सदस्यों- फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, अकबर लोन (नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सांसद) और जितेंद्र सिंह, जुगल किशोर (भाजपा सांसद) को चार फरवरी की शाम को सौंपी गई। सदस्यों से 14 फरवरी तक अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कहा गया, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा। 
परिसीमन आयोग ने सराहनीय कार्य किया है 
रैना ने यहां कहा, ‘‘परिसीमन आयोग ने सराहनीय कार्य किया है। एक मसौदा प्रस्ताव पेश करने से पहले उसने विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों के नेताओं के अलावा जिला और ब्लॉक विकास परिषद के सदस्यों, पंचायती राज संस्था के सदस्यों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से राय-मशविरा किया।’’ 

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भाजपा नेता ने ‘वंचित इलाकों को न्याय’ दिलाने के लिए आयोग द्वारा की गई कड़ी मेहनत की तारीफ की, लेकिन कहा कि चूंकि कुछ क्षेत्रों के लोगों ने अपनी चिंताएं जाहिर की हैं, लिहाजा पार्टी ने उन पर गौर फरमाया है और ‘हमारे सांसद 14 फरवरी को आयोग से समीक्षा की मांग को लेकर निश्चित रूप से उनकी चिंताएं सामने रखेंगे।’ 
हमने विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया है कि  
लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट का विरोध करने के बाद सात फरवरी को सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं ने जम्मू जिले में सुचेतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के आरएस पुरा के साथ प्रस्तावित विलय के खिलाफ सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। 
रैना ने कहा, ‘‘हमने विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया है कि उनकी चिंताओं को आयोग के सामने रखा जाएगा… सुचेतगढ़ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित है और निर्वाचन क्षेत्र के लोग हमारे सांसदों से मिले तथा यथास्थिति बरकरार रखने की मांग की।’’ 
आरएस पुरा सीट को अनारक्षित करने की मांग भी करेंगे  
उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद आरएस पुरा सीट को अनारक्षित करने की मांग भी करेंगे और पूंछ जिले के लोगों की चिंताएं सामने रखेंगे, जहां आयोग ने अनुसूचित जनजातियों के लिए तीन सीटें आरक्षित की हैं, जो कि स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग चाहते हैं कि एक सीट को अनारक्षित किया जाए। 
साथ ही परिसीमन आयोग ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए 16 निर्वाचन क्षेत्रों को आरक्षित करते हुए जम्मू क्षेत्र के लिए छह और कश्मीर के लिए एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव किया है। भाजपा नेता ने दावा किया कि पूंछ और राजौरी जिलों के लोग अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के साथ दोबारा विलय से खुश हैं। 
उन्होंने इसके साथ ही आगे कहा, ‘‘हम आयोग से नए निर्वाचन क्षेत्र में शोपियां को जोड़ने का अनुरोध करेंगे, क्योंकि जिले की भौगोलिक सीमा पुंछ और राजौरी के साथ सटी हुई है।’’ मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ विपक्षी दलों के व्यापक प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग ने अपना काम पारदर्शी तरीके से किया है और इसके कामकाज में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। 
ज्यादातर लोग खुश और संतुष्ट हैं 
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘ज्यादातर लोग खुश और संतुष्ट हैं। केवल निहित स्वार्थ वाले लोग शोर-शराबा और दुष्प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस, नेशनल कॉनफ्रेंस और पीडीपी की आदत हो गई है कि वे उन लोगों के उत्थान के लिए किए जा रहे हर अच्छे काम का विरोध करते हैं, जिन्होंने उनके शासन में अन्याय का सामना किया है।’’ 
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने मसौदा रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि यह ‘किसी एक नहीं, सभी तर्कों की अवहेलना करती है’ और कोई भी राजनीतिक, सामाजिक व प्रशासनिक कारण सिफारिशों को जायज नहीं ठहरा सकता। लोकसभा में श्रीनगर सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी अब इस रिपोर्ट पर विस्तृत प्रतिक्रिया तैयार करने में जुटी है और पूरी प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए अन्य विकल्प तलाश रही है।
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