BJP अध्यक्ष ने दी अपने ही विधायक को नसीहत, कहा- संविधान विरोधी बयान, अपनी बेइज्जती कराने बराबर
संजय जायसवाल ने कहा कि संविधान ने प्रत्येक भारतीय नागरिक को कई अधिकार दिए हैं, जिनमें ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ की गूंज आजकल सबसे अधिक सुनाई देती है।
04:09 PM Feb 25, 2022 IST | Desk Team
बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि संविधान ने प्रत्येक भारतीय नागरिक को कई अधिकार दिए हैं, जिनमें ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ की गूंज आजकल सबसे अधिक सुनाई देती है। स्वतंत्रता ताकत होती है, लेकिन ताकत के साथ जिम्मेदारियां भी साथ आती है। जिम्मेदारी के बिना ताकत को अराजकता में बदलने में देर नहीं लगती। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं को आहत करने की छूट नहीं दी जा सकती।
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बोलने की आजादी की आड़ में बेलगाम बयान देना बन चूका है फैशन
उन्होंने कहा कि कुछ लोग संविधानप्रदत इस अधिकार का दुरूपयोग करने को ही अपनी श्रेष्ठता समझने लगे हैं। बोलने की आजादी की आड़ में बेलगाम बयान देना फैशन सा हो चला है। दुर्भाग्य से विपक्षी दलों द्वारा शुरू किये गये इस ट्रेंड के शिकार कुछ पक्षवाले भी हो गये हैं। इस स्थिति को विशेषकर भाजपा में, किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। जायसवाल का यह बयान तब आया है कि जब भाजपा के विधायक हरि भूषण ठाकुर ने कहा था कि मुसलमानों से वोटिंग का अधिकार छीन लेना चाहिए। उन्होने कहा कि मुसलमानों को 1947 में दूसरा देश मिल चुका है, वहीं चले जाएं।
BJP विधायक हरिभूषण ठाकुर ने मुस्लिम लोगों पर दिया विवादित बयान
विधायक ठाकुर ने कहा कि यहां रहेंगे तो दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा। इसके अलावा भाजपा विधायक ने मुसलमानों को मानवता का दुश्मन तक बता डाला और कहा कि वह पूरी दुनिया को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं। भाजपा विधायक ने यह जवाब एआईएमआईएम विधायकों के उस बयान पर दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि विधानसभा में या किसी भी सार्वजनिक मंच से राष्ट्रीय गीत नहीं गाएंगें।
जायसवाल बोले- संविधान विरोधी बात कहना अपनी बेइज्जती करवाने बराबर
माना जा रहा है कि डॉ. जायसवाल का बयान भाजपा के विधायक को लेकर ही है। हालािंक उन्होंने कहीं भी विधायक का नाम नहीं लिया है। जायसवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कोई छीन नहीं सकता। उसमें भी जब सत्ता में परिवारवादियों के बजाए मोदी सरकार हो तो यह बात नामुमकिन हो जाती है। उन्होंने कहा कि संविधान विरोधी कोई बात कहना खुद से अपनी बेइज्जती करवाने के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा, जब आप जनप्रतिनिधि हों तो लोगों की आपसे अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. संयम और शालीनता आपकी कथनी और करनी दोनों में झलकनी चाहिए। नहीं तो जिन ताकतों के विरोध में जनता ने आपको दायित्व दिया है, उनमें और आपमें कोई अंतर बाकि नहीं रह जाता।
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