Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

बसपा के खास वोटबैंक जाटवों पर भाजपा ने गड़ाई निगाहें, मायावती को लग सकता है बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दलित वोटों को अपने पाले में लाने के लिए काफी गंभीर है।

01:48 PM Aug 13, 2021 IST | Ujjwal Jain

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दलित वोटों को अपने पाले में लाने के लिए काफी गंभीर है।

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दलित वोटों को अपने पाले में लाने के लिए काफी गंभीर है। मायावती की खत्म हुई सेंकेंड लीडरशिप लाइन की कमजोरी को देखते हुए उसके कोर वोटर जाटव को अपना वोट बैंक बनाने के लिए भाजपा ने अपनी निगाहें गड़ाई है। 
Advertisement
इसकी बानगी बीते दिनों लखनऊ आए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख के सम्मेलन में देखने को मिली। इस दौरान साहरनपुर की ब्लाक प्रमुख सोनिया जाटव और चित्रकूट के जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव का सम्मान नड्डा ने खुद किया। इसके बाद उन्होंने कोर कमेटी की बैठक में भी कहा कि सांसद, विधायक और अन्य बड़े पदाधिकारी दलित बस्तियों में जाएं, वहां भोजन करें, रात्रि विश्राम करें। साथ ही, उनके हितों में चलाई जा रही परियोजना के बारे में जरूर बताएं। 
सोनिया जाटव के पति साहरनपुर के बलियाखेड़ा ब्लाक में सफाई कर्मचारी है। बीए पास सोनिया को उन्होंने बीडीसी चुनाव लड़वाया है। भाजपा को यहां के आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति की शिक्षित महिला की तलाश थी। मौका मिलते ही भाजपा ने उनको अपना ब्लाक प्रमुख बनावा कर दलित बिरादरी में खास जाटवों में एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। इस दौरान एक बड़े नेता ने मंच से यह बताने का भी प्रयास किया कि भाजपा खासकर इस वर्ग बहुत ख्याल रह रही है। 
भाजपा प्रतीकों और संग्राहलय के जरिए भी दलित वर्ग के वोटरों को रिझाने का खास प्रयास करती चली आ रही है। इसी कारण पार्टी ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दलितों को लुभाने के लिए लखनऊ में डॉ. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र स्मारक के निर्माण का ऐलान किया और राष्ट्रपति के हाथों से शिलान्यास भी करवाया गया है। 
भाजपा नेतृत्व ने मिशन-2022 की बिसात पर जातीय समीकरणों का एक बार फिर दांव चला है। पार्टी ने तीन अनुसूचित जाति सांसद को मंत्रिमंडल में शामिल कर साफ संकेत दे दिया है कि अतीत की तरह अगामी चुनावों में भी उसकी रणनीति जातियों के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन बिठाकर बहुमत हासिल करने की रहेगी। ओबीसी जातियों की आरक्षण की मांग के बीच भाजपा नेतृत्व ने मंत्रिमंडल में तीन अनुसूचित जाति के सांसदों को तवज्जो दी है। 
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “2014 से ही दलित वोट बैंक मायावती से छिटक गया है। वह भाजपा के पाले में आने लगा है। इसका फायदा 2017-19 के चुनाव में मिला। दलित की उपजातियां कोरी, पासी, धोबी समेत अन्य वर्ग ने भाजपा का साथ दिया जिसके बदौलत सरकार बनी। अब भाजपा ने बसपा से रूष्ट खासकर जाटव वोटरों पर फोकस किया है। इसके लिए कई वर्षों से परिश्रम हो रहा है। यह वर्ग समाजवादी पार्टी के साथ नहीं जा सकता है 2019 के चुनाव में सपा का इसका खमियाजा भी भुगतना पड़ा है। पार्टी मानती है कि बसपा नेता मायावती अब दलितों की एकछत्र नेता नहीं बची है। विकल्पहीनता के अभाव में दलित समाज एक बड़े नेतृत्व की आस भाजपा से लगाए बैठा है।”
वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं, “भाजपा का दलितों का साथ 2014 से ही मिलने लगा था। इसका फायदा कमोबेश साल 2017-19 के चुनावों में भी मिला है। इसके पीछे भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का बहुत बड़ा हाथ हैं। उसने लगातार दलितों को समरतसा कार्यक्रम चलाया और दलितों को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत है। जिसका फायदा भाजपा को मिला है। संघ की इस परपाटी को भाजपा ने अपनाना शुरू किया है दलित बस्तियों में रूकना उनके घरों में साथ बैठकर भोजन करना वहां रूकना उनकी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।”
भाजपा के अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश मंत्री राहुल वाल्मिकि कहते हैं , “भाजपा दीनदयाल के आदर्षों के अनुरूप चल रही है। जो तबका दबा कुचला रहा है, उसे उपर उठाने का प्रयास पार्टी कर रही है। इसमें खासकर अनुसूचित वर्ग को भाजपा से पहले के दलों ने वोट बैंक का हिस्सा समझा और उन्हें इस्तेमाल किया। भाजपा ने इनके लिए योजनाएं शुरू कर इन्हें बराबरी का दर्जा देने का प्रयास कर रही है।” 
Advertisement
Next Article