Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

Black Magic: विपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग से करें तंत्र प्रयोग को नष्ट

प्रत्यंगिरा के प्रयोग से काले जादू का समाधान

12:59 PM Jun 12, 2025 IST | Astrologer Satyanarayan Jangid

प्रत्यंगिरा के प्रयोग से काले जादू का समाधान

काला जादू एक प्राचीन विज्ञान है, जिसे नेगेटिव एनर्जी भी कहा जाता है। यह अधार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है और व्यक्ति के जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है। साधारण उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, जबकि गंभीर तंत्र प्रयोग के लिए विपरीत प्रत्यंगिरा अनुष्ठान आवश्यक होता है।

संसार में बहुत सी बातें ऐसी हैं जिनमें सच्चाई कम और भ्रांतियां ज्यादा होती है। उन्हीं में एक काला जादू या अंग्रेजी भाषा में नेगेटिव एनर्जी है। हालांकि काले जादू को परिभाषित करने के लिए नेगेटिव एनर्जी शब्द पूरी तरह से सक्षम नहीं है। लेकिन मैं यहां भाषा विज्ञान के बारे में अधिक बात नहीं करूंगा। वास्तविकता यह है कि काला जादू एक बहुत ही विस्तृत और व्यापक अर्थों का प्राचीन विज्ञान है। खास बात है कि पराविज्ञान जिसे देसी भाषा में हम काला जादू कहते हैं उसकी उपस्थिति आज से नहीं है। हालांकि इसे भारत से संबद्ध किया जाता है लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि भारत के अलावा शेष विश्व में भी पराविज्ञान का अस्तित्व शताब्दियों से रहा है। कोई हजार वर्ष पहले हुए गुरु गोरक्षनाथ पराविज्ञान और योग के विद्वान हुए हैं। हालांकि वे सन्यासी थे। कहा जाता है कि उनके काफिले में एक हजार से अधिक शिष्य चलते थे। उनके काफिले को रोक कर मेहमान नवाजी की क्षमता केवल राजाओं और नगर सेठों के पास ही थी। खास बात यह है कि उनके शिष्यों में साधारण लोगों के साथ ही राजा-महाराजा तक होते थे।

Advertisement

क्या होता है काला जादू

काला अर्थात् सफेद का विपरीत और सफेद अर्थात् स्वच्छ और शुद्ध। हम या जो कोई भी पूजा या अनुष्ठान करता है वह स्वच्छ और शुद्ध क्रिया और विचारों के साथ किया जाता है। जब यही कार्य विपरीत होकर मलिन और अशुद्धता के साथ बुरे विचारों की पूर्ति के लिए किया जाए तो वह अधार्मिक अर्थात् काला कहा जायेगा। काले जादू को कुछ लोग तंत्र क्रिया भी कहते हैं लेकिन यह उससे सर्वदा पृथक है। लेकिन जब तंत्र क्रिया किसी अधार्मिक उद्देश्य के लिए की जाए तो उसे भी काला जादू या नेगेटिव एनर्जी कहा जा सकता है। साधारण से तंत्र प्रयोग से व्यक्ति आलसी हो जाता है। जीवन में उन्नति रुक जाती है। परिवार में विचार भिन्नता के कारण कलह का वातावरण बनता है। जब गंभीर तंत्र प्रयोग, व्यक्तिगत तौर पर किया गया हो तो व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। आत्मघाती फैसले लेता है। बिजनेस और नौकरी नष्ट हो जाती है। घर छोड़कर चला जाता है और कुछ मामलों में आत्महत्या कर लेता है।

कैसे बचें और क्या उपाय करें

काले जादू की दो श्रेणियां होती हैं। एक वह काला जादू है जो कि स्वाभाविक तौर पर किया जाता है। यह सार्वजनिक रूप से किया जाता है। दुर्भाग्य से आप उसकी चपेट में आ जाते हैं। दूसरा वह है जो कि आपको लक्ष्य बना कर किया जाता है। जो सामान्य काला जादू होता है उसके साधारण से उपायों से आप मुक्ति पा सकते हैं लेकिन जो काला जादू आपको लक्ष्य बना कर किया गया है उसके प्रभाव को नष्ट करने के लिए आपको विशेष प्रयोगों और अनुष्ठानों की जरूरत हो सकती है।

जब साधारण काला जादू किया गया हो तो साधारण से प्रयोग से उसके प्रभाव को नष्ट या कम किया जा सकता है। इसके लिए चाहिए कि गोमूत्र, तुलसी के पत्ते और गंगाजल को लेकर एक मिश्रण तैयार करें। यह लगभग एक लीटर होना चाहिए। इसको एक बोतल में रख लें और प्रतिदिन संध्या के समय एक लोटे साधारण पानी में इसके एक या दो ढक्कन मिला कर उसका छिड़काव करें। यह उपाय घर के लिए है। जब आपको लगे कि व्यक्तिगत तौर पर काला जादू किया गया है। तो जिस पर काला जादू किया गया है। उसे चाहिए कि प्रातः स्नान के लिए किसी बाल्टी का प्रयोग करें। उस बाल्टी में दो ढक्कन तैयार किये गये मिश्रण का मिला लें। इस उपाय से कुछ ही दिनों में काले जादू का प्रभाव कम या नष्ट हो जाता है।    

विपरीत प्रत्यंगिरा है काले जादू का रामबाण उपाय

ऊपर बताया गया उपाय साधारण काले जादू में तो काम करता है लेकिन जब गंभीर किस्म का विशेष प्रयोग किया गया हो तो जिंदगी नरक बन जाती है। इस स्थिति में जिस पर काला जादू किया गया है वह स्वयं कोई उपाय नहीं कर पाता है। उसके निकट संबंधियों को ही किसी उपाय से तंत्र प्रयोग को नष्ट करने का उद्योग करना चाहिए। इसके लिए वैदिक और सात्विक उपाय विपरीत प्रत्यंगिरा का अनुष्ठान है। लेकिन विपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग तभी करवाना चाहिए जब गंभीर किस्म का तंत्र प्रयोग होना सिद्ध हो जाए। क्योंकि विपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग शत्रु पर द्विगुणित वेग से प्रहार करता है। विपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग में यजमान या उसके प्रतिनिधि की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक होती है।

Advertisement
Next Article