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Blue Road: समुंद्र की तरह नीली दिखती है यहां की सड़कें, एक्सपर्टर्स ने बताया इसके पीछे का राज...

05:22 PM Sep 23, 2023 IST | Ritika Jangid
blue road  समुंद्र की तरह नीली दिखती है यहां की सड़कें  एक्सपर्टर्स ने बताया इसके पीछे का राज

काले और ग्रे रंग की सड़को को देखना आम बात है। अगर आप दूसरे देशों में भी घूमने गए होंगे तो वहां भी आपने काले या ग्रे रंग को सड़कों को देखा होगा। लेकिन अगर हम आपको बताएं कि एक एक देश ऐसा भी है जहां काले या ग्रे रंग की नहीं बल्कि नीले रंग की सड़क है। शायद ये सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन ये सच है, एक देश में नीले रंग की सड़कें आपको देखने के लिए आराम से मिल जाएगी।

नीले रंग की सड़क वाला देश

काले रंग की सड़कें देखना आम है क्योंकि सड़क बनाने के लिए चारकोल का इस्तेमाल होता है और सबको पता है, चारकोल केवल काले रंग का ही होता है। लेकिन नीले रंग की सड़क किसी देश में है यह सुनने में ही आपको काफी अजीब लग रहा होगा। लेकिन धरती पर ऐसा एक देश है जिसकी सड़कें नीले रंग की है। इस देश का नाम क़तर है। जी हां, कतर में आपको नीले रंग की सड़कें देखने के लिए मिल जाएगी। मालूम हो, 2019 से पहले क़तर देश में भी काले रंग ही सड़के हुआ करती थी। लेकिन अब वे सड़कें नीले रंग की है।

ग्लोबल वार्मिंग इसका कारण

बता दें, क़तर में नीली सड़कों का कारण ग्लोबल वार्मिंग बताई जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है और यह मुद्दा वैश्विक चर्चा का विषय भी रहता है। इसी वजह से क़तर ने अपनी सड़कों को नीला रंग दे दिया। ताकि क़तर में बढ़ते तापमान से राहत मिल सके क्योंकि नीली सड़के तापमान को संतुलित रखने में मदद करती है। बता दें की क़तर के दोहा शहर में सबसे पहले सड़को को नीला रंग दिया गया था। वहीं, इसके इस्तेमाल से तापमान में कमी आती है या नहीं यह देखने के लिए क़तर में करीब 18 महीने पायलट प्रोजेक्ट भी शरू किया गया।

वैज्ञानिकों ने क्या किया दावा?

एक्सपर्टर्स की मानें तो यह प्रोजेक्ट सड़क किनारे तापमान कम करने के लिए किया गया था। इसके अलावा तापमान में अंतर चेक करने के लिए कई सेंसर भी लगाए गए थे। जिसकी मदद से बदलाव को नोटिस किया गया। वही वैज्ञानिकों का कहना है कि काले और ग्रे रंग की सड़कों का तापमान 20 से 25 डिग्री से ज्यादा होता है। ऐसे में क़तर ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने और तापमान में कमी लाने के लिए इस व्यवस्था पर काम करना शुरू किया है और अभी भी चल रहा है।

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Ritika Jangid

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