Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

दिल्ली का नीला आसमान

दिल्ली वालों के लिए अच्छी खबर है कि पिछले 5 वर्षों में इसका दशहरा सबसे साफ रहा। रावण जले लेकिन ग्रीन पटाखों के साथ। आसमान में धुएं का गुबार नहीं चढ़ा।

03:54 AM Oct 11, 2019 IST | Ashwini Chopra

दिल्ली वालों के लिए अच्छी खबर है कि पिछले 5 वर्षों में इसका दशहरा सबसे साफ रहा। रावण जले लेकिन ग्रीन पटाखों के साथ। आसमान में धुएं का गुबार नहीं चढ़ा।

दिल्ली वालों के लिए अच्छी खबर है कि पिछले 5 वर्षों में इसका दशहरा सबसे साफ रहा। रावण जले लेकिन ग्रीन पटाखों के साथ। आसमान में धुएं का गुबार नहीं चढ़ा। प्रदूषण के खिलाफ किए जा रहे प्रयास और जागरूकता का असर देखने को ​मिल रहा है। यद्यपि दिल्ली में प्रदूषण कम होने का श्रेय लेने की होड़ भी मची हुई है। राजनीति में क्रेडिट लेने की होड़ कोई नई नहीं है। अगर इस होड़ में दिल्ली के लोगों को विषाक्त हवाओं से मुक्ति मिली है तो यह होड़ और तेज होनी चाहिए। वैसे मानसून का देरी से जाना, ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल और हवाओं का सही दिशा में जाना भी प्रदूषण घटाने में सहायक रहा है। मानसून के लौटते वक्त हवाओं की गति तेज होती है, जिस कारण जो प्रदूषण होता है वह उड़ जाता है। 
Advertisement
पंजाब और हरियाणा में भी हवा में काफी नमी है, जिसके चलते पराली के जलने से होने वाला प्रदूषण दिल्ली की तरफ नहीं बढ़ रहा। दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। हर साल त्यौहारों के दिनों में आसमान काला हो जाता है। लोगों का सांस लेना भी दूभर हो जाता है। विजयादशमी के अगले दिन नीला आसमान देखकर आश्चर्य भी हुआ। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने​पिछले माह नीले आसमान की तस्वीरें भी अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर की थीं और दिल्लीवासियों से अपील की थी कि दिल्ली की हवा को साफ रखने के लिए हम सब मिलकर काम करें। अब दिल्ली सरकार के सामने बड़ी चुनौती दीवाली है। इस चुनौती पर पार पाने के लिए जन सहयोग की बहुत जरूरत है। 
जनता की भागीदारी के बिना कोई भी सत्ता अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकती। कई वर्षों से दिल्ली में स्मॉग कहर ढहाता आ रहा है। स्कूल, कालेज बंद कर दिए जाते हैं।  1952 में स्मॉग ने लंदन को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसे ग्रेट स्मॉग आफ लंदन के नाम से जाना जाता है। 5 दिसम्बर से 9 दिसम्बर 1952 तक पूरे लंदन शहर में स्मॉग की एक घनी परत छा गई थी। बाद में मौसम बदलने पर स्मॉग घट तो गया लेकिन पांच दिन के अन्दर इसने लंदन में काफी नुक्सान पहुंचाया था। सर्दी के मौसम में लंदनवासी खुद को गर्म रखने के लिए सामान्य से ज्यादा कोयला जलाते थे। इस धुएं ने सल्फर डाईआक्साइड की मात्रा बढ़ा दी। 
स्मॉग इतना गहरा था कि कुछ भी दिखाई नहीं देता था। स्मॉग लोगों के घरों में घुस गया था। लंदन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एम्बुलैंस सेवाएं रोकनी पड़ी थीं। बाद में लंदन के मेडिकल सर्विसेज के जरिये इकट्ठे किए गए आंकड़ों से पता चला कि स्मॉग से 4 हजार लोगों की मौत हो गई थी। ज्यादातर पीड़ित जवान या बूढ़े थे या जिनको पहले ही सांस की समस्या थी। वाहन, निर्माण, खुले में कूड़ा जलाने, कारखाने, कोयला आधारित बिजली उत्पादन केन्द्र, डीजल और पैट्रोल वाहन, पराली जलाने के माध्यम से स्मॉग का उत्सर्जन होता है। यह धुआं न केवल मनुष्य के लिए हानिकारक है, बल्कि पौधों, जानवरों और मानव निर्मित सामग्री के लिए भी हानिकारक है। कई दशकों तक दिल्ली लापरवाह रही। 
दिल्ली वालों ने कभी सोचा ही नहीं कि भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए कुछ किया जाना चाहिए। जब प्रदूषण ने सारी हदें पार कर दीं तो दिल्ली वालों के हाथ-पांव फूल गए। बढ़ते प्रदूषण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। जब भी दिल्ली वालों से कहा जाता कि दशहरा, दीपावली पर पटाखे मत चलाएं लेकिन लोग मानने को तैयार न थे। दीपावली की रात पूरा महानगर पटाखों से गूंज उठता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र सरकार और ​दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से लोग जागरूक हुए हैं और अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क भी। 
केन्द्र सरकार ने दिल्ली और एनसीआर में नए राजमार्गों का निर्माण किया, जिससे दिल्ली में दाखिल होने वाले वाहन अब इन राजमार्गों के माध्यम से अपने गंतव्य स्थलों  को जाते हैं। पहले प्रदूषण कम करने के उपाय मुसीबत सिर पर आने पर ही करते थे लेकिन दिल्ली सरकार अब प्रदूषण कम करने के लिए पहले से ही एक्शन प्लान पर काम कर रही है। दिल्ली की आबोहवा को बचाने के लिए रामलीला समितियों ने रावण के पुतलों में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जिससे ध्वनि प्रदूषण भी नहीं हुआ। 
जरूरी है कि प्रदूषण कम करने के लिए जनता सभी उपायों का इस्तेमाल करे। केन्द्र सरकार ने देश में पर्यावरण के संरक्षण और हरित क्षेत्र को बढ़ाने के ​ लिए 1400 किलोमीटर लम्बी ग्रीन वॉल तैयार करने का फैसला किया है। अफ्रीका के सेलेगन से जिबूती तक बनी ग्रीन वॉल की तर्ज पर गुजरात से लेकर ​दिल्ली-हरियाणा सीमा तक ग्रीन वॉल आफ इंडिया को विकसित किया जाएगा। यह वॉल पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के रे​गिस्तानों से दिल्ली तक उड़कर आने वाली धूल को रोकने का काम करेगी। 
भारत ने पहले ही 26 मिलियन हैक्टेयर भूमि को हरित बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। सवाल केवल दिल्ली की आबोहवा का नहीं बल्कि पूरे देश की हवा स्वच्छ होनी चाहिए ता​िक भावी पीढ़ियां स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। दिल्ली का आसमान नीला हो, इसकी जिम्मेदारी सरकार के साथ जनता की भी है। दीवाली पर जनता की भी परीक्षा होगी।
Advertisement
Next Article