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पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों के लिए सरकार बनाए बोर्ड : भाजपा सांसद

मध्य प्रदेश के इंदौर से भाजपा सांसद शंकर लालवानी का मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अत्याचार का शिकार होकर आए परिवारों का जीवनस्तर सुधारने के लिए केंद्र सरकार को बोर्ड बनाना चाहिए।

05:00 PM Dec 24, 2019 IST | Shera Rajput

मध्य प्रदेश के इंदौर से भाजपा सांसद शंकर लालवानी का मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अत्याचार का शिकार होकर आए परिवारों का जीवनस्तर सुधारने के लिए केंद्र सरकार को बोर्ड बनाना चाहिए।

मध्य प्रदेश के इंदौर से भाजपा सांसद शंकर लालवानी का मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अत्याचार का शिकार होकर आए परिवारों का जीवनस्तर सुधारने के लिए केंद्र सरकार को बोर्ड बनाना चाहिए। तमाम परिवार घर के अभाव में नदियों, जंगलों के किनारे असुरक्षित क्षेत्रों में रहने को मजबूर हैं। 
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भाजपा सांसद ने यहां मंगलवार को आईएएनएस से कहा कि वह सरकार के सामने इस मामले को उठाएंगे। भाजपा सांसद ने कहा कि कानून बनने के बाद नागरिकता मिलने से अत्याचार के शिकार हुए हजारों परिवारों के जीवन में नया सवेरा आएगा। 
शंकर लालवानी के परिवार के लोग देश विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए थे। बकौल शंकर लालवानी, ‘मेरे पिता व परिवार के अन्य सदस्यों ने पाकिस्तान में बहुत अत्याचार झेले, तब विभाजन के समय भारत आए। 
भारत आने के बाद भी घर के कुछ सदस्य पाकिस्तान में छूटी कुलदेवी की मूर्ति लेने के लिए गए तो फिर वापस नहीं आ पाए, जिसकी पीड़ा आज भी है। इस दर्द के कारण मैं पड़ोसी देशों में अत्याचार के शिकार परिवारों की लड़ाई लड़ रहा हूं।’
 
भाजपा सांसद ने कहा, ‘पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए परिवार दिल्ली सहित अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं। इंदौर में चार हजार तो पूरे मध्य प्रदेश में करीब दस हजार लोग बदहाली के बीच जिंदगी गुजार रहे हैं। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की पहल से बने कानून के कारण अब इन्हें नागरिकता मिल जाएगी। मगर इन परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए बोर्ड बनाने की मांग हम सरकार के सामने रखेंगे, क्योंकि यह मांग इन परिवारों से ही उठ रही है।’
 
यहां कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान में अत्याचार सहकर भारत आए कई परिवारों ने अपना दुख-दर्द सुनाया। दिल्ली में रह रहे कई परिवारों ने कहा कि वे ‘यमुना के किनारे खुले में रहने को मजबूर हैं, ऐसे में इस नेकदिल सरकार से मदद की आस है।’ 
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