होली पर सॉन्ग 'रंग बरसे' के बिना अधूरी रहती है मस्ती, क्या आप जानते है इस क्लासिक सॉन्ग के पीछे की कहानी?
12:45 PM Mar 06, 2023 IST
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होली का त्योहार यानी रंगीला और मस्ती भरा त्योहार, इस त्योहार का लोग पूरे साल इंतजार करते है वही इस फेस्टिवल को खास बनते है कलर फूल कलर। इस त्योहार पर लोग मौज मस्ती बेशुमार करते नजर आते है साथ ही बॉलीवुड के मस्ती भरे गाने बजाकर खूब मौज मस्ती करते है। वही अगर मस्ती भरे गाने न बजे तो होली का मजा ही कहा?
अब ऐसे में होली का त्योहार हो और लोग अमिताभ बच्चन और रेखा का फिल्माया गाना, ‘रंग बरसे’ पर धूम न मचाये तो ऐसा भला कैसे हो सकता है शायद होली की महफ़िल इस सांग के बिना अधूरी है ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा, तो चलिए आपको बताते है इस सांग के पीछे की सचाई, कैसे ये गाना आज भी टॉप पर है और क्या है इस सांग की दिलचस्प कहानी?
कंपोजर देबज्योति मिश्रा ने रंग बरसे की मेकिंग का किस्सा साँझा किया है उन्होंने बताया – मै जहा रहा करता था वहा एक जगह थी, जहा नॉन बंगाली लोग गाना गया करते थे और एक साथ होली का ये फेस्टिवल सेलिब्रेट किया करते थे। वही से उनके ये गाने मेरे दिमाग पर प्रभाव छोड़ते थे। देबज्योति मिश्रा ने आगे कहा- कि जब उन्होंने बाद में गाना सुना ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ और फिल्म सिलसिला में पिक्चराइजेशन देखा तो वह उस समय कॉलेज में थे।
उन्होंने कहा, मैंने फिल्म को साउथ कोलकाता में सिंगल स्क्रीन पर देखा और जो मैंने देखा वह मुझे पसंद आ गया, जिसके बाद गाना बहुत हिट हुआ पर मुझे पता था सांग भजन पर बेस्ड है जिसे लोग होली पर गया करते थे, बाद में सौविक मिश्रा की कर्ज़नर कलोम में इसी तरह की धुन का इस्तेमाल करना चाहा, तो उन्होंने कहा कि कॉपीराइट इश्यू थे।
यह सांग रियल में 15 वी सदी की एक कवि मीरा के भजन पर आधारित था और लिरिक्स कवि हरिवंश राय बच्चन के थे वही सॉन्ग शिव-हरि ने कंपोज किया था। बता दे, ‘रंग बरसे’ गाना ओरिजनल भजन रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे से बदल दिया गया था और यह भजन पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के बीच पॉपुलर था। जिसके बाद देबज्योति को धुन का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी, जिसके बाद आज तक यह सांग लोगो के बीच पॉपुलर है वही हर साल इस गाने पर होली के दिन लोग धूम मचाते दिखाई देते है।
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