दक्षिण के आगे चमक खोता बॉलीवुड
कहा जाता है कि दुनिया में सिर्फ सात ही कहानियां हैं, जिन्हें बदल-बदलकर सुनाया जाता…
कहा जाता है कि दुनिया में सिर्फ सात ही कहानियां हैं, जिन्हें बदल-बदलकर सुनाया जाता है। इसी तरह बॉलीवुड में लगातार दोहराये जाने वाले सात लोग हैं- अक्षय कुमार, तीनों खान, दीपिका पादुकोण, कपूर परिवार और करण जौहर, ये लोग एक ही कहानी बार-बार दोहराते हैं। यह उक्ति हाल ही में तब सच साबित हुई, जब ‘हाउसफुल-5’ के ओपनिंग शो के अवसर पर पीवीआर ऑडिटोरियम एकदम खामोश दिखा। बावजूद इसके कि शीर्ष बुकिंग एप इसके 60 फीसदी टिकट बिक जाने की भ्रामक जानकारी दे रहा था, ऑडिटोरियम लगभग खाली ही था। अक्षय कुमार की यह ताजातरीन कॉमेडी फिल्म, जिसमें अभिषेक बच्चन, संजय दत्त और नाना पाटेकर समेत कुल 19 फिल्म स्टारों की मौजूदगी है, छह जून के ओपनिंग डे के दिन मात्र 24 करोड़ का ही बिजनेस कर पायी। यह फिल्म शुरुआती सप्ताह में सौ करोड़ का बिजनेस कर पाने में भी विफल रही।
हताश सोशल मीडिया ने इस फिल्म को वाहियात बताया। शुरुआती 21 घंटे में यूट्यूब पर इसका ट्रेलर देखने वालों का आंकड़ा मात्र 80 लाख था, जो अक्षय कुमार की फिल्मों के लिहाज से कम था। मानो फिल्म का फ्लॉप होना ही काफी न हो, थिएटर के खालीपन से ध्यान हटाने के लिए टिकट की बिक्री को बढ़ा-चढ़ाकर बताने से संबंधित चर्चा बॉलीवुड के बड़े नामों से जुड़े संकट के बारे में बताती है। जाहिर है कि बॉलीवुड के स्टारों की चमक फीकी पड़ रही है जिससे देश के 19,000 करोड़ रुपये का मनोरंजन उद्योग खतरे में है।
विडंबना यह है कि जब हिंदी सिनेमा की स्थिति डगमगा रही है तब दक्षिण भारतीय सिनेमा उभार पर है। यह बॉलीवुड में रचनात्मकता के सूखे के बारे में बताता है, ‘हेराफेरी’ और ‘वेलकम’ जैसी फिल्मों के कारण ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार की एक समय छोटे शहरों में तूती बोलती थी लेकिन ‘स्काई फोर्स’, ‘केसरी 2’ और अब ‘हाउसफुल 5’ जैसी उनकी फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं और 100 करोड़ का बिजनेस भी नहीं कर पायीं।
‘हाउसफुल 5’ को हिट कराने, खासकर बेटे अभिषेक के लिए अमिताभ की इंस्टाग्राम पर पहल भी फिल्म को दो दिन में 54 करोड़ से अधिक का बिजनेस नहीं करा पायी। ‘कल्कि 2898 एडी’ फिल्म में उनके रोल की चर्चा के पीछे दक्षिण भारत के दर्शकों का बड़ा योगदान है। यह बॉलीवुड के स्टारों के अब कमोबेश बाहरी तत्वों पर निर्भरता के बारे में बताता है।
सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ 26 करोड़ का बिजनेस कर पायी, जबकि इसका बजट 200 करोड़ था। कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’, 18.4 करोड़ का ही बिजनेस कर पायी। हालांकि अनुपम खेर ने कंगना के निर्देशकीय नजरिये की तारीफ की लेकिन दर्शकों ने फिल्म को खारिज कर दिया, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने खेर द्वारा अभिनीत ‘द वैक्सीन वार’ को खारिज किया था।
वर्ष 2023 में ‘पठान’ के 1055 करोड़ के बिजनेस से शाहरुख खान ने फिर अपनी चमक बिखेरी, पर 2024 में न के बराबर फिल्म और पान मसाला विज्ञापन से जुड़े विवाद ने उनकी छवि खराब कर दी। रणबीर कपूर की एनिमल ने 553 करोड़ की कमाई की, पर 2024 में माधुरी दीक्षित के साथ 400 करोड़ रुपये की एक फिल्म वैसा बिजनेस नहीं कर पायी, जबकि 2022 की ‘शमशेरा’ सुपर फ्लॉप रही। दीपिका पादुकोण की ‘छपाक’ जहां फ्लॉप हुई, वहीं ‘कल्कि 2898 एडी’ की सफलता के लिए वह दक्षिण भारतीय दर्शकों पर निर्भर रहीं। नामचीन सितारों वाली फिल्मों की भी विफलता मनोरंजन उद्योग का गला घोंट रही है। वर्ष 2024 में कुल टिकट बिक्री का आंकड़ा 1.2 अरब रहा लेकिन 2023 की तुलना में सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों की संख्या में 10 फीसदी की और आमदनी में 13 प्रतिशत की कमी आयी।
वर्ष 2024 में ‘स्त्री 2’, ‘भूलभुलैया 3’ और ‘सिंघम अगेन’ समेत कुल छह हिंदी फिल्में सौ करोड़ से अधिक का बिजनेस कर पायीं, जबकि 2023 में सौ करोड़ से ज्यादा का बिजनेस करने वाली हिंदी फिल्मों की संख्या सोलह थी। लगभग 9.6 करोड़ की सदस्यता वाला ओटीटी प्लेटफॉर्म मासिक सौ-दो सौ रुपये में बहुत कुछ दिखाता है जो बहुत ही सस्ता सौदा है, वर्ष 2023 में 400 फिल्में थियेटर की बजाय ओटीटी पर आयीं, जो 2022 की तुलना में 30 फीसदी अधिक था। सिनेमाघरों में बॉलीवुड के इस खालीपन को प्रभास और एनटीआर जूनियर जैसे दक्षिण भारतीय सितारे भर रहे हैं, जबकि मलयालम और गुजराती फिल्मों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है।
दूसरी ओर दक्षिण भारतीय फिल्में धमाका कर रही हैं, ‘पुष्पा 2’ के डब किये गये हिंदी संस्करण ने 889 करोड़ का, ‘कल्कि 2898 एडी’ ने 550 करोड़ का और ‘देवरा’ ने 300 करोड़ का बिजनेस कर बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों को कहीं पीछे छोड़ दिया। हालांकि 567 करोड़ का बिजनेस कर छावा ने जताया कि बॉलीवुड अब भी अच्छी फिल्में दे सकता है, इस फिल्म में सामने आया मराठी गौरव दक्षिण भारतीय सिनेमा की सांस्कृतिक मजबूती से मिलता है। जावेद अख्तर के मुताबिक, बॉलीवुड के शहरी संभ्रांतों की तुलना में अल्लू अर्जुन जैसे सांवले दक्षिण भारतीय अभिनेता ज्यादातर दर्शकों से सीधे जुड़ते हैं, फैशन और ग्लैमर को बेचने का बॉलीवुड का फोकस ग्रामीण दर्शकों को इन फिल्मों से दूर कर रहा है। राजनीतिक विचारधारा भी बॉलीवुड की फिल्मों के पिटने का एक कारण है, कंगना की ‘इमरजेंसी’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ में राष्ट्रवादी स्वर हैं लेकिन दर्शकों ने इन्हें खारिज किया।
ऐसे ही शाहरुख और आमिर खान की फिल्मों को हिंदुत्ववादी समर्थक पसंद नहीं कर रहे, दीपिका पादुकोण, अक्षय कुमार और कंगना रनौत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करने के बावजूद इन सितारों की फिल्में हिट नहीं हो रहीं, क्योंकि दर्शक विचारधारा पर आधारित फिल्में खारिज कर दे रहे हैं। थकी हुई कहानियों, प्रेरित कर पाने में अक्षम धुनों और शहरी संभ्रांतों के बरक्स हिंदी प्रदेश की बड़ी आबादी के बीच के फर्क के कारण बॉलीवुड का सितारा अस्त होने को है। सिनेमाघरों में जाने वालों का आंकड़ा 2018 के 1.6 अरब से घटकर 2025 में 80 करोड़ रह गया। अगर मुंबई अपनी नियति को भांपने में विफल रहती है तो बिल्कुल संभव है कि 2035 में बॉलीवुड भुतिया शहर में तब्दील हो जाए। तब तक सिंगल स्क्रीन पूरी तरह गायब हो जायेगी, मल्टीप्लेक्स की स्क्रीनों में दक्षिण की हिट फिल्में दिखाई जायेंगी और हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार यूट्यूब में ही रह जायेंगे।