सुप्रीम कोर्ट के 52वें और देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस बने B.R Gavai, जानें कितना होगा कार्यकाल
जस्टिस बी.आर. गवई बने देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस
जस्टिस बी.आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में पद ग्रहण किया, जो देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं। उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा। गवई ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फैसलों में भूमिका निभाई है, जैसे बुलडोजर एक्शन और अनुच्छेद 370 पर।
जस्टिस भूषण रामकृष्णा गवई आज सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में थपथ ली है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने बीआर गवई को थपथ दिलाई। थपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति,सप्रीम कोर्ट के जजों के अलावा गवई की मां और परिवार के लोग भी शामिल हुए। जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध सीजेआई हैं और आजादी के बाद देश में दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने का होगा। जस्टिस बीआर गवई बुलडोजर एक्शन से लेकर आर्टिकल 370 और चुनावी चंदे तक कई महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे हैं।
6 महीने का होगा कार्यकाल
देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रामकृष्ण गवई एमएलसी, लोकसभा सांसद और 3 राज्यों के राज्यपाल थे। बीआर गवई 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बने थे। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। चीफ जस्टिस के तौर पर गवई का कार्यकाल करीब 6 महीने का होगा। वे इसी साल 23 नवंबर को रिटायर होंगे।
जस्टिस बी गवई के कई बड़े फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने पिछले 6 सालों के कार्यकाल में जस्टिस बी गवई ने कई बड़े फैसले दिए हैं। पिछले साल जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देशभर में दिशा-निर्देश तय किए थे। हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली में 100 एकड़ क्षेत्र में फैले जंगल को नष्ट करने के मामले में जस्टिस गवई ने बेहद सख्त रवैया अपनाया है। उन्होंने राज्य सरकार से उस जगह को उसकी पुरानी स्थिति में लाने के लिए कार्ययोजना बताने को कहा है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण में उप-वर्गीकरण की अनुमति देते हुए ऐतिहासिक फैसला दिया था। जस्टिस गवई 7 जजों की इस बेंच का हिस्सा थे। जस्टिस गवई उस बेंच का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करके जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने को सही ठहराया था। वह उस बेंच के भी सदस्य थे जिसने 2016 की नोटबंदी को संवैधानिक और कानूनी रूप से सही बताया था।
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