ब्रह्माकुमारी संस्थान ने द्रौपदी मुर्मू को भारत की राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर दी बधाई
आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ईश्वरीय ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय ने द्रौपदी मुर्मू को भारत की राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने से महिला सशक्तिकरण को और मजबूती मिलेगी।
01:04 AM Jul 22, 2022 IST | Shera Rajput
आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ईश्वरीय ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय ने द्रौपदी मुर्मू को भारत की राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने से महिला सशक्तिकरण को और मजबूती मिलेगी।
Advertisement
राजस्थान के सिरोही जिले के आबू रोड से संचालित ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुर्मू 2009 से सक्रिय सदस्य हैं।
ब्रह्मकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने एक बयान में कहा कि ‘‘यह बेहद खुशी की बात है कि एक ऐसी व्यक्तित्व देश की राष्ट्रपति बनने जा रही है। जिसकी आध्यात्मिक जीवनशैली, सकारात्मक सोच और श्रेष्ठ व्यक्तित्व है। जो देश के नागरिकों को प्रेरित तो करेगा ही साथ ही देश में महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करेगा।’’
संस्थान के एक प्रवक्ता ने मुर्मू के ब्रह्माकुमारी के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि मुर्मू आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी मुख्यालय ‘‘शांति वन’’ में लगातार दौरा करती रहीं है।
Advertisement
उन्होंने कहा कि 2009 में ओडिशा में अपने परिवार में एक त्रासदी के बाद मुर्मू इस संस्थान से जुड़ीं और राजयोग ध्यान के अभ्यास से उनके जीवन में महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव लाए। वह तड़के 3.30 बजे उठती हैं और राजयोग ध्यान का अभ्यास करती हैं।
संस्थान के प्रवक्ता बी. के. कोमल ने बताया,‘‘मुर्मू का जीवन मुश्किलों से भरा रहा है। जब उनके बड़े बेटे की मृत्यु हो गई, तो वह बुरी तरह टूट गईं। इसके बाद वह ओडिशा के रायरंगपुर स्थित हमारे केन्द्र चली गई। उस समय वह गहरे अवसाद में थीं।’’
उन्होंने कहा कि मुर्मू को आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शक्ति का समर्थन मिला।
उन्होंने कहा कि ‘‘लगभग दो महीने तक उनकी विशेष देखभाल की गई। जब वह राजयोग साधना करने लगीं तो धीरे धीरे वह सामान्य होने लगीं। नियमित अभ्यास से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया।‘‘
उन्होंने कहा कि ‘‘उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढाव का सामना किया है, लेकिन आध्यात्मिक शक्ति के कारण उन्होंने सबका सामना किया।’’
कोमल ने बताया कि मुर्मू वर्ष 2000 से कभी कभी ब्रह्माकुमारी के कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में शामिल होती थीं, लेकिन वह संगठन से जुड़ी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि ‘‘लेकिन जब वह 2009 में एक सदस्य के रूप में संस्थान में शामिल हुईं।
उन्होंने बताया कि ‘‘ जब वो झारखंड की राज्यपाल बनीं, तो जनवरी 2016 और फरवरी 2020 में संस्थान के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये मुख्यालय आयीं थी।
Advertisement