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भारत में स्वतंत्रता पर ब्रिटिश सांसदों ने की चर्चा, जॉनसन से मोदी के समक्ष यह मुद्दा उठाने की अपील की

ब्रिटिश संसद के उच्च सदन ‘हॉउस ऑफ लार्ड्स’ के सदस्यों ने भारत में ‘‘गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), अकादमिक और अन्य समूहों की स्वतंत्रता’’ के मुद्दे पर चर्चा की है।

07:30 PM Mar 16, 2021 IST | Ujjwal Jain

ब्रिटिश संसद के उच्च सदन ‘हॉउस ऑफ लार्ड्स’ के सदस्यों ने भारत में ‘‘गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), अकादमिक और अन्य समूहों की स्वतंत्रता’’ के मुद्दे पर चर्चा की है।

ब्रिटिश संसद के उच्च सदन ‘हॉउस ऑफ लार्ड्स’ के सदस्यों ने भारत में ‘‘गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), अकादमिक और अन्य समूहों की स्वतंत्रता’’ के मुद्दे पर चर्चा की है। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से इन मुद्दों को अगले महीने भारत यात्रा के दौरान अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के समक्ष सीधे तौर पर उठाने की अपील की। 
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सांसद लॉर्ड रिचर्ड हैरिस ने ‘‘इंडिया: रिस्ट्रक्शंस ऑन फ्रीडम’’(भारत : आजादी पर पाबंदी) विषय पर सोमवार को ब्रिटिश संसद के उच्च सदन में चर्चा कराने का अनुरोध किया था। 
परंपरा के अनुसार विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) मंत्री लॉर्ड जैक गोल्डस्मिथ ने सरकार की ओर से जवाब दिया। उन्होंने अपने जवाब में ब्रिटेन और भारत के बीच करीबी संबंधों का जिक्र किया, जो ब्रिटेन को जारी वार्ता के तहत सभी मुद्दे उठाने की अनुमति देते हैं। 
उन्होंने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र (भारत) के साथ ‘‘बहुत ही गहरे और व्यापक संबंध’’ का जिक्र किया, जिसके साथ ब्रिटेन का व्यापार एवं निवेश साझेदारी आगे बढ़ रही है तथा रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग विश्व की भलाई के लिए है। 
लॉर्ड गोल्डस्मिथ ने कहा, ‘‘हमारा रुख हमेशा ही कोई भी चिंता भारत सरकार के समक्ष उठाने का रहा है। हम मानवाधिकारों के संपूर्ण मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत करेंगे और अपनी चिंताएं मंत्रीस्तर सहित अन्य अवसरों पर उठाएंगे। ’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जल्द ही भारत की यात्रा करेंगे। यह द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों के विस्तृत विषयों भारत सरकार के साथ सीधे तौर पर पर चर्चा करने का एक अवसर होगा। बेशक, जहां हमारी खास चिंताएं होंगी, प्रधानमंत्री उन्हें भारत सरकार के समक्ष सीधे तौर पर उठाएंगे, जैसा कि आप एक करीबी दोस्त एवं साझेदार से उम्मीद करते हैं। ’’ 
गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ कमेटी कक्ष में भारत के कृषि सुधारों को लेकर भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। हालांकि, भारत ने इसके बाद ब्रिटेन से दो टूक कह दिया था कि उसके (ब्रिटेन के) सांसदों को खास तौर पर दूसरे लोकतांत्रिक देश के साथ संबंध में वोट बैंक की राजनीति से दूर रहना चाहिए। 
हाउस ऑफ लॉर्ड्स में हुई चर्चा के दौरान करीब आठ सांसदों ने जॉनसन नीत सरकार से ‘‘भरत में एमनेस्टी इंटरनेशन इंडिया का कार्यालय बंद होने और इसके बैंक खातों से लेनदेन पर रोक लगा दिये जाने’’, कश्मीर की स्थिति और ‘‘पत्रकारों को कैद करना तथा गैर हिंदू अल्पसंख्याकों, दलित कार्यकर्ताओं, एनजीओ और मानवाधिकार हनन के खिलाफ अभियान चलाने वालों के अंदर अभियोजति किये जाने का डर समाना’’ जैसे मुद्दे उठाने की अपील की। 
कंजरवेटिव पार्टी के सांसद लॉर्ड हावर्ड फ्लाइट ने कहा, ‘‘हाल के समय तक भारत ने ब्रिटेन से विरासत के तौर पर मिले लोकतांत्रिक सिद्धांतों और परंपराओं को व्यापक रूप से कायम रखा था। अब यह देखा जा रहा है कि भारत सरकार ने कई क्षेत्रों में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के स्वरूप में बदलाव कर दिया है।’’ 
हालांकि, कश्मीर मुद्दे पर ब्रिटिश सरकार ने अपना यह रुख दोहराया कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक विषय है। 
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