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BSP: मायावती अपने कोर वोट के लिए संगठन को मजबूती देने में जुटीं, 19 सितंबर को करेंगी बैठक

02:45 PM Sep 18, 2024 IST | Pannelal Gupta

BSP: लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट होने के बाद बसपा ने अब उपचुनाव के जरिए खड़े होने की ठानी है। अपना कैडर वोट संभालने के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती एक बार फिर से अपनी टीम को एक्टिव करने में जुटी हैं।

Highlights

पदाधिकारियों के साथ बैठक में उपचुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा

बसपा(BSP) पार्टी सुप्रीमो मायावती 19 सितंबर को पूरे प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उपचुनाव के लिए रणनीति तैयार करेंगी। पार्टी फोरम से मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में मंडल से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। मायावती, पार्टी मुख्यालय में होने वाली बैठक में नए सिरे से बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की समीक्षा करेंगी, साथ ही वह 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तैयारियों को भी परखेंगी।

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लगातार बैठक कर संगठन की मजबूती पर ध्यान

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बताया कि 19 सितंबर को पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पूरे प्रदेश के पाधिकारियों की एक बैठक बुलाई है। पार्टी का एजेंडा और रणनीति क्या है बैठक में ही पता चलेगी। राजनीति के जानकर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती लगातार बैठक कर संगठन की मजबूती पर ध्यान दे रही हैं। उनका विशेष फोकस उत्तर प्रदेश में है। उन्हें पता है कि उपचुनाव का अगर परिणाम उनकी पार्टी के पक्ष में आता है तो 2027 में उनके लिए यह ऑक्सीजन होगा। इस कारण वह संगठनात्मक गतिविधियों पर खुद नजर बनाए हुए हैं।

BSP बैठक में कौन-कौन होगा शामिल

19 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक में सभी जिलों के अध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर के साथ सेक्टर प्रभारी और बामसेफ के मुखियों को मौजूद रहने को कहा गया है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने वाली बसपा की 18वीं लोकसभा चुनाव में हालात बहुत खराब हो गई। पार्टी का मत प्रतिशत तो गिरा ही साथ में उसका वोट बैंक भी फिसल गया।

2024 में 9.39 प्रतिशत मत प्रतिशत मिला- वीरेंद्र सिंह रावत

वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 2014 और 2024 में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ी थी। दोनों चुनावों में मिले मतों को देखा जाए तो दलित मत शिफ्ट होने की स्थिति साफ हो रही है। चुनावी आंकड़ों को देंखे तो इनके पास 2014 में 19.77 फीसद मत प्रतिशत मिला था। जबकि 2024 में 9.39 प्रतिशत मत प्रतिशत बचा। दोनों चुनावों में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन 2019 में पार्टी गठबंधन में 10 सीटें पाकर 19.43 फीसद वोट प्रतिशत को बरकरार रखा था।

वोट बैंक को बचाने में मिलेगी कामयाबी?

वीरेंद्र सिंह रावत ने आगे कहा कि मायावती को लगता है आरक्षण वाले मुद्दे को उठाकर दलित वोट बैंक को फिर अपनी ओर किया जा सकता है। इसी कारण वह इस कवायद में लगातार जुटी हैं। उपचुनाव की तैयारी भी जोर शोर से कर रही हैं। उन्हें अपने वोट बैंक को बचाने में कितनी कामयाबी मिलती है यह तो परिणाम बताएंगे।

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