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Budh Pradosh Vrat 2025: आज मनाया जा रहा है बुध प्रदोष व्रत, जानें Vrat Katha, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

12:31 PM Aug 20, 2025 IST | Shweta Rajput
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Budh Pradosh Vrat 2025
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Budh Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस दिन को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। सनातन धर्म में एक परंपरा में भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत को करने का विधान है। यह व्रत प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन सच्ची श्रद्धा से पूजा-पाठ और व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा मिलती है और कुंडली के दोष दूर होते हैं।

पंचांग के अनुसार सूर्य के अस्त होने और और रात्रि के संधि समय को प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है वह उसी दिन के नाम से जाता है। आज बुधवार 20 अगस्त है, इसलिए इस प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत भी कहते हैं। इस दिन की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे शुभ माना जाता है। कहते हैं बुध प्रदोष व्रत रखने से कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत हो जाती है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत की Vrat Katha, पूजा विधि और इस दिन का महत्व।

Budh Pradosh Vrat Puja Vidhi: जानें प्रदोष व्रत की सरल पूजा विधि

Budh Pradosh Vrat 2025
Budh Pradosh Vrat 2025

आज का दिन शिव भक्तों के लिए काफी पवित्र है। आज बुध प्रदोष व्रत है। इस दिन सबसे पहले सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद व्रत को पूरे दिन नियम-संयम के साथ रखने का संकल्प करें। इसके बाद पूजा घर को साफ करके माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा के पास दिपक जलाएं।

भगवान शिव और माता पार्वती की पुष्प, फल, चंदन, आदि से पूजा करें। आज प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें जैसे रुद्राक्ष, बेलपत्र, शमीपत्र, धतूरा आदि जरूर चढ़ाएं। शाम होने के बाद एक बार फिर से स्नान करें। इससे तन और मन से पवित्र हो जाएंगे। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें।

इसके बाद रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का जप करें। भगवान शिव की आरती करने के बाद परिवार में प्रसाद का वितरण करें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुध प्रदोष व्रत का शुभ फल पाने के लिए किसी सुहागिन महिला को हरे रंग का वस्त्र, हरे रंग की चूड़ी और श्रृंगार का सामान भेंट करें।

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Budh Pradosh Ke Shubh Muhurt: जानें प्रदोष व्रत में पूजा करने का शुभ मुहूर्त

Budh Pradosh Vrat Katha
Budh Pradosh Vrat Katha

पंचांग के अनुसार आज 20 अगस्त बुधवार के दिन भगवान शिव औऱ माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने वाला प्रदोष वत रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार 20 अगस्त 2025 को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दोपहर 01:58 बजे से शुरू होगी और इस तिथि की समाप्ति 21 अगस्त 2025 को दोपहर 12:44 बजे होगी।

इस कारण यह व्रत आज 20 अगस्त को रखा जाएगा। इस प्रदोष व्रत पूजा के लिए सबसे उत्तम प्रदोष काल शाम को 06:56 से लेकर 09:07 बजे तक रहेगा। आज भगवान शिव औऱ माता पार्वती की पूजा करने के लिए भक्तों को कुल 02 घंटे 12 मिनट का पर्याप्त समय मिलेगा।

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Budh Pradosh Vrat Katha: जानें इस व्रत की कथा

Budh Pradosh Vrat Katha
Budh Pradosh Vrat Katha

प्राचीन समय मे एक बार एक बार एक युवक का नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के कुछ ही दिन बीते थे कि उसकी पत्नी अपने मायके चली गई। कुछ समय बीत जाने के बाद जब वह अफनी पत्नी के ससुराल लेने पहुंचा तो उस दिन बुधवार था। सास-ससुर ने उसे रोकने की कोशिश की क्योंकि उनका मानना था कि बुधवार को विदाई करना शुभ नहीं होता। लेकिन दामाद ने उनकी बात नहीं मानी और पत्नी के साथ बैलगाड़ी में घर लौटने चला. मजबूरी में सास-ससुर ने अपने जमाई और पुत्री को भारी मन से विदा किया।

जब वह दोनों पति-पत्नी नगर में पहुंचे तो पत्नी को प्यास लगी। इसके बाद पति पत्नी के लिए पानी लेने गया। लेकिन जब वह पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी दूसरे शख्स से हँसते-खेलते बात कर रही थी और उसी अजनबी पुरुष के लोटे से पानी पी रही थी। यह दृश्य देखकर पति काफी गुस्सा हुआ और वह सीधा जाकर पत्नी से सवाल करने लगा। लेकिन जब वह उनके पास गया तो वहां का नजारा देखकर चौंक गया, क्योंकि वह शख्स बिल्कुल उसके जैसा था।

यह सब देखकर पत्नी भी आश्चर्य में पड़ गई और दोनों में झगड़ा होने लगा। दोनों का आपस में झगड़ा इतना बढ़ गया कि आस-पास के लोग वहां इकट्ठा होने लगे। इसके बाद लोगों ने पत्नी से सवाल किया कि-“आपका असली पति कौन है?”। यह सवाल सुनकर वह काफी स्तब्ध रह गई। इसके बाद दामाद को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने भगवान शिव से प्रार्थना की-हे भोलेनाथ! हमारी रक्षा करें।

मैंने बड़ी भूल की कि सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को विदाई कर ली। मैं भविष्य में ऐसा गलती कभी नहीं करूंगा। पति के इतना कहते ही वह अजनबी शख्स अचानक से गायब हो गया औऱ दोनों पति-पत्नी सुरक्षित अपने घर वापस लौट आए। इस घटना के बाद से वे दोनों नियमित रूप से बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत रखने लगे।

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Budh Pradosh Vrat Ke Fayde: जानें प्रदोष व्रत रखने से क्या फल मिलते हैं

Budh Pradosh Vrat ke fayde
Budh Pradosh Vrat ke fayde

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को काफी पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा बरसती है और हर मनोकामना पूरी होती है। बुध प्रदोष व्रत को शास्त्रों में बुद्धि, विद्या, वाणी और नौकरी व व्यापार में सफलता प्रदान करने वाला व्रत माना गया है। इतना ही नहीं इस दिन व्रत रखने से और भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने से विद्यार्थियों, व्यापारियों और वाणी से कार्य करने वालों (वकील, वक्ता, लेखक, शिक्षक आदि) को काफी लाभ मिलता है।

इस व्रत को करने से व्रती को धन, विद्या और वाणी पर नियंत्रण की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और गणेश यानी पिता-पुत्र की पूजा कई दोषों से मुक्ति दिलाती है। शिवपुराण और स्कंदपुराण के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखने से रोग-दोष दूर होते हैं, धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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