CM Yogi के दौरे से पहले बहराइच की इन मजारों पर Bulldozer Action
CM Yogi के दौरे से पहले मजारों पर चला बुलडोजर
उत्तर प्रदेश के बहराइच में लक्कड़ शाह बाबा की मजार को प्रशासन ने बिना सूचना के ध्वस्त कर दिया, जिससे मजार प्रबंधन समिति नाराज है। प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई वन विभाग और न्यायाधिकरण के आदेश पर की गई। सचिव इसरार ने इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध जताया।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में स्थित लक्कड़ शाह बाबा की मजार को प्रशासन ने देर रात बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया। मजार प्रबंधन समिति का आरोप है कि यह कार्रवाई बिना उचित सूचना के की गई, जबकि प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई वन विभाग और न्यायाधिकरण के आदेश पर की गई है। मजार के सचिव इसरार ने दावा किया कि प्रशासन ने 5 जून को ट्रिब्यूनल का आदेश थमाया और उसी रात को मजार को तोड़ दिया। उन्होंने कहा, “उस समय कुछ कर्मचारी मजार पर मौजूद थे, लेकिन श्रद्धालुओं को पहले ही हटा दिया गया था।” सचिव का आरोप है कि बिना पर्याप्त सूचना और वक्त दिए प्रशासन ने रात के अंधेरे में बुलडोजर चलवाया, जो पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
धार्मिक गतिविधियों पर रोक नहीं
कार्रवाई के बाद PAC और अन्य सुरक्षाबलों को मौके पर तैनात कर दिया गया है। इस पूरे अभियान में राजस्व विभाग, पुलिस, और वन विभाग की संयुक्त टीमें शामिल थीं। प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि मजार पर धार्मिक गतिविधियों या जियारत पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन जंगल के कोर एरिया में भीड़भाड़ को रोकने के लिए मेला आयोजन पर पाबंदी थी।
कतर्नियाघाट के DFO बी. शिवशंकर ने बताया, “मजार जंगल के कोर क्षेत्र में है और ज्येष्ठ माह में लगने वाले एक दिवसीय मेले में भारी भीड़ जमा होती है। इसे देखते हुए पिछले चार सालों से मेले पर रोक है, ताकि वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाएं रोकी जा सकें।”
वन भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप, वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
वन विभाग के अनुसार, मजार प्रबंधन ने जगह को वक्फ संपत्ति बताया था, लेकिन स्वामित्व के कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। इसी आधार पर उनका दावा खारिज कर दिया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। अधिकारियों के अनुसार, वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार का स्थायी ढांचा बनाना गैरकानूनी है।
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मजार प्रबंधन का विरोध
मजार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रईस अहमद ने कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा, “यह मजार हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतीक है। यहां 40 प्रतिशत मुस्लिम और 60 प्रतिशत हिंदू श्रद्धालु आते हैं। सदियों से उर्स और मेले आयोजित होते रहे हैं। यह कार्रवाई धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है।” उन्होंने कहा कि प्रबंधन अब हाई कोर्ट का रुख करेगा और प्रशासन की इस एकतरफा कार्रवाई को चुनौती देगा।