India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि, हरित अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद : वित्त मंत्रालय

04:25 PM Feb 23, 2023 IST
Advertisement
वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि, हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा तथा वित्तीय बाजार को मजबूत बनाने के उपायों की घोषणा से नौकरियां बढ़ने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है। मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जो महत्वपूर्ण आंकड़े हैं (निर्यात, जीएसटी संग्रह, पीएमआई आदि) वे आम तौर पर नरमी का संकेत देते हैं। इसका एक कारण मौद्रिक नीति को कड़ा किया जाना है जिससे वैश्विक मांग पर प्रतिकूल असर दिखना शुरू हो गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह स्थिति 2023 में भी जारी रह सकती है क्योंकि विभिन्न एजेंसियों ने वैश्विक वृद्धि में गिरावट की आशंका जतायी है। मौद्रिक नीति कड़ी किये जाने से उत्पन्न प्रभाव के अलावा दुनिया के कुछ देशों में महामारी का असर बने रहने तथा यूरोप में तनाव से वैश्विक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’’ वैश्विक उत्पादन में नरमी के अनुमान की आशंका के बाद भी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक ने 2023 में भारत के तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था बने रहने की उम्मीद जतायी है।
मासिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 की तरह भारत आने वाले वित्त वर्ष का सामना पूरे भरोसे के साथ करने को तैयार है। इसका कारण कुल मिलाकर समग्र वृहत आर्थिक स्थिरता है। साथ ही वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक जोखिमों को लेकर देश पूरी तरह से सतर्क भी है।’’ इसमें कहा गया है कि संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। इसमें इसके ऊपर जाने की तुलना में नीचे जाने का जोखिम अधिक है।
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘देश के लिये मुद्रास्फीति जोखिम 2023-24 में कम रहने की उम्मीद है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर जारी तनाव और उसके कारण आपूर्ति बाधित होने जैसी वैश्विक स्थिति के कारण यह पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। इससे 2022 में ऊंची महंगाई दर रही और यह स्थिति अब भी मौजूद है।’’
प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो की भविष्यवाणी की गयी है। इससे भारत में मानसून कमजोर रह सकता है। इसके परिणामस्वरूप कम उत्पादन और उच्च कीमतें होंगी। दूसरी तरफ, कीमतों के साथ चालू खाते के घाटे समेत बाह्य घाटों को लेकर स्थिति वित्त वर्ष 2023-24 में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम चुनौतीपूर्ण हो सकती है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और पूंजी प्रवाह के रुझान पर ध्यान रखने की जरूरत है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एक बार फिर पूंजीगत व्यय के जरिये वृद्धि को गति देने का प्रयास किया गया है। बजट में केंद्र का पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये है जो चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है।
इसमें कहा गया है, ‘‘इसके जरिये सरकार प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बीच निवेश के माध्यम से वृद्धि को गति देने की दिशा में अपना प्रयास जारी रखे हुए है…वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि, बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर, हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और वित्तीय बाजारों को मजबूत करने की पहल जैसे उपायों से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने और आर्थिक वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।’’
Advertisement
Next Article