मुंबई के कार्यक्रम में शामिल हुए पीयूष गोयल, बजट 2024 में राजकोषीय जिम्मेदारी पर डाला प्रकाश
Budget: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय बजट 2024 पर अपने विचार साझा किए। 23 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट की प्रशंसा करते हुए वाणिज्य मंत्री ने कहा कि फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट ने पूरे साल की दिशा तय कर दी है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने बताया बजट
केंद्रीय बजट 2024-25 के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने बताया कि बजट दो रूप ले सकता है; लोकलुभावन घोषणाओं से भरा बजट अल्पावधि में फायदेमंद हो सकता है, लेकिन दीर्घावधि में नुकसानदेह होगा। उन्होंने कहा, "बजट के लोकलुभावन फैसले हमें तत्काल लाभ पहुंचा सकते हैं, लेकिन उनका प्रभाव देश के लिए हानिकारक है।" अमेरिका में 2008-2009 के वित्तीय संकट के दौरान सरकारी खर्च के बाद के परिणामों पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, "भारत ने 2008-2009 के वैश्विक मंदी के बाद राजकोषीय घाटे में वृद्धि की।
भारी उधारी और लोकलुभावन उपाय अपनाए गए
लगभग छह वर्षों तक भारी उधारी और लोकलुभावन उपाय अपनाए गए। हर बजट में यह देखने की होड़ लगी रही कि लोगों को और क्या दिया जा सकता है।" मंत्री ने कहा, "एक-दो साल तक देश में उत्साह का माहौल बना रहा। विकास की दर भी शायद 9 प्रतिशत पर पहुंचने के बाद गिर गई। भारी उधारी का असर राजकोषीय घाटे के रूप में दिखाई दिया। उसके बाद देश में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति भी देखी गई।" 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.9 प्रतिशत आंका गया है, जो अंतरिम बजट में लगाए गए अनुमान से बेहतर है।
2024-25 के लिए केंद्रीय बजट हुआ पेश
2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.9 प्रतिशत आंका। सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह सरकार द्वारा आवश्यक कुल उधारी का संकेत है। उन्होंने आगे कहा कि 2014 तक मुद्रास्फीति अधिक थी और विकास की दर गिरने लगी थी। उन्होंने कहा, "2014 तक भारत की गिनती पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में होने लगी थी।
दुनिया में हर किसी को लगने लगा था कि भारत का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकता। एक बहुत ही कमजोर कहानी गढ़ी गई और एक तरह से पूरी दुनिया ने भारत से मुंह मोड़ लिया।" उन्होंने जोर देकर कहा कि बजट को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहे, नागरिकों को लाभ पहुंचाते हुए आर्थिक आधार मजबूत हो। उन्होंने कहा, "अगर अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत होगा, तभी देश विकसित राष्ट्र बन सकता है।" विपक्ष पर हमला करते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा, "ऐसा माहौल बनाया गया कि बजट में केवल दो राज्यों को ही धन मिला है, जो पूरी तरह से गलत है। हर राज्य में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल रही हैं। प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों का 50 से अधिक बार दौरा किया कि ये क्षेत्र विकसित हो सकें।"
(Input From ANI)
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