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भारत की पहली Bullet Train के लिए बना खास ट्रैक

02:52 PM Mar 30, 2024 IST
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भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए बन रहे खास तरह के ट्रैक की पहली झलक सामने आ गई है। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन को लेकर जानकारी दी थी। अब रेल मंत्री ने मुंबई अहमदाबाद कॉरिडोर को लेकर रोचक जानकारियां साझा की हैं। इसमें उन्होंने देश के पहले बैलेस्टलेस ट्रैक की खूबियां बताई है। गुजरात-मुंबई के बीच बनने वाले इस ट्रैक के बारे में वीडियो में विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही एनिमेटेड तरीके से इसमें बुलेट ट्रेन के दौड़ने के दृश्य भी शामिल किए गए हैं।

बुलेट ट्रेन 320 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार

आपको बता दें यह देश की पहली है जिसमें बुलेट ट्रेन के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले बैलेस्टलेस ट्रैक का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर 153 किमी तक वायाडक्ट का काम पूरा हो चुका है। देश में चलने वाली बुलेट ट्रेन को 320 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है।

अश्विनी वैष्णव ने शेयर किया Video

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें बुलेट ट्रेन से जुड़े अपडेट दिए गए हैं। इसमें उन्होंने बलास्टलेस ट्रैक के बारे में जानकारी साझा की। अश्विनी वैष्णव ने लिखा कि भारत में पहली बार ऐसे बैलेस्टलेस रेलवे ट्रैक इस्तेमाल किए जाएंगे। इस ट्वीट के मुताबिक, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने बुलेट ट्रेन के लिए 153 किमी के वायाडक्ट तैयार कर लिए हैं। इसके अलावा 295.5 किमी के लिए पियर वर्क भी पूरा कर लिया है। मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रैन प्रोजेक्ट के लिए 508 किमी का ट्रैक बिछाया जा रहा है। इस कॉरिडोर को 2026 तक शुरू किया जाना है। उन्होंने लिखा कि मोदी 3.0 में अपने और माइलस्टोन छूने हैं।

बैलेस्टलेस ट्रैक क्या है?

दरअसल, बैलेस्टलेस ट्रैक को स्लैब ट्रैक के रूप में भी जाना जाता है। इसे कई देशों में हाई स्पीड रेलवे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत ने जे स्लैब बैलेस्टलेस ट्रैक को पहली बार इस्तेमाल किया है। इन्हें आरसी ट्रैक के ऊपर रखा जाता है। इनकी मोटाई 300 एमएम तक होती है।

नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।

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