World Bank ने climate change से होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई पहल शुरू की
दुनिया भर में climate change के कारण लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए COP28 के दौरान World Bank ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का नाम है Climate and Health कार्यक्रम। यह कार्यक्रम कम और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करेगा। इससे उन देशों के लोगों को जलवायु परिवर्तन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने में मदद मिलेगी।
- COP28 के दौरान World Bank ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया
- climate change के कारण होने वाली पांच प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करना है उद्देश्य
- यह कार्यक्रम स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करेगा
2050 तक कम से कम 21 मिलियन मौते होंगी
कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए कई काम किए जाएंगे। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए काम करना, स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाना शामिल है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य climate change के कारण होने वाली पांच प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करना है। ये समस्याएं हैं: अत्यधिक गर्मी, कुपोषण, दस्त, मलेरिया और डेंगू। विश्व बैंक का मानना है कि climate change से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। Climate and Health कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। World Bank द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, climate change संबंधी स्वास्थ्य खतरों के कारण 2050 तक कम से कम 21 मिलियन अतिरिक्त मौतों का अनुमान है, कार्यक्रम का उद्देश्य विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कमजोर क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना है।
climate change स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाता है
विश्व बैंक में मानव विकास के लिए उपाध्यक्ष ममता मूर्ति ने climate change के कारण होने वाले खराब स्वास्थ्य और गरीबी के चक्र को तोड़ने में कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। मूर्ति ने कहा जलवायु परिवर्तन से होने वाले खराब स्वास्थ्य और गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। climate change स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाता है, जिससे खराब स्वास्थ्य और गरीबी का एक चक्र बन जाता है। इस चक्र से लोगों की आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करेगा, स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाएगा। इससे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा और वे गरीबी से बाहर निकल सकेंगे।"
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