गेहूं और चावल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार की नई पहल
- गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों से आम जनता परेशान
- सरकार ने इन कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई उठाए कदम
- सरकार ने बफर स्टॉक से 2.84 लाख टन गेहूं और 5,830 टन चावल बेचा
- गेहूं और चावल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद
Bharat Atta: गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों से आम जनता परेशान है। सरकार ने इन कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने खुले बाजार में खाद्यान्न उतारकर 2.84 लाख टन गेहूं और 5,830 टन चावल बेचा है। इसके अलावा, 2.5 लाख टन गेहूं को 'भारत आटा' ब्रांड के तहत आटे में बदलकर बेचने के लिए आवंटित किया गया है।
गेहूं और चावल की कीमतें पिछले कुछ महीनों से बढ़ रही हैं। इसकी वजह से आम लोगों को परेशानी हो रही है। सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने बफर स्टॉक से 2.84 लाख टन गेहूं और 5,830 टन चावल बेचा है। यह बिक्री ई-नीलामी के जरिए की गई है। इस बिक्री से बाजार में गेहूं और चावल की उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतें कम हो सकती हैं।
सरकार ने 'Bharat Atta' ब्रांड के तहत 2.5 लाख टन गेहूं को आटे में बदलने के लिए भी आवंटित किया है। इस आटे का अधिकतम खुदरा मूल्य 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है। यह आटा देश भर में सहकारी समितियों द्वारा बेचा जाएगा। सरकार ने 15 नवंबर को एक ई-नीलामी में 2.84 लाख टन गेहूं और 5,830 टन चावल बेचा। इसकी वजह से खुले बाजार में इन खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने की उम्मीद है।
सरकार ने व्यापारियों को ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं की बिक्री से बाहर रखा है। इसके अलावा, स्टॉक की जमाखोरी से बचने के लिए देशभर में औचक जांच की जा रही है। इन कदमों से गेहूं और चावल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।
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